वायु प्रदूषण हमारी श्वांस प्रणाली को प्रभावित करता है, जिससे सांस लेने में परेशानी होती है। इससे दमा, ब्रॉन्काइटिस, फेफड़ों का कैंसर, टीबी और निमोनिया जैसे कई रोगों का खतरा बढ़ जाता है।
वायु प्रदूषण हमारी श्वांस प्रणाली को प्रभावित करता है, जिससे सांस लेने में परेशानी होती है। इससे दमा, ब्रॉन्काइटिस, फेफड़ों का कैंसर, टीबी और निमोनिया जैसे कई रोगों का खतरा बढ़ जाता है। दुनिया भर के कई शहर प्रदूषण के स्तर में लगातार हो रही वृद्धि की समस्या से जूझ रहे हैं। गर्भवती महिलाओं को अपने और होने वाले बच्चे दोनों का ध्यान रखना चाहिए। साथ ही घर में हवा साफ करने वाले यंत्रों को ज़रूर प्रयोग में लाना चाहिए। दमा से पीड़ित गर्भवती महिलाओं को वायु प्रदूषण से बचने के लिए अत्यधिक प्रदूषण के समय घर से बाहर जाने से परहेज करना चाहिए। प्रदूषण में काम आने वाले टिप्स के बारे में जानने के लिए आगे पढ़े।
एक नए अध्ययन के मुताबिक, गर्भावस्था के दौरान प्रदूषण के संपर्क में आने से बच्चे में ADHD के विकार का खतरा काफी बढ़ जाता है। विशेष रूप से, शोधकर्ताओं ने polycyclic aromatic hydrocarbons (PAHs) के प्रभाव पर ध्यान केंद्रित किया, जो गंदी हवा का एक मुख्य घटक है।
प्रदूषण गर्भवती महिलाओं को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं। गर्भावस्था के पहले और दूसरे तिमाही में वायु प्रदूषण की वजह से समय से पहले बच्चे का जन्म या फिर बच्चे के कम वजन होने का खतरा बढ़ जाता है। इस लिए आपको इस अवस्था में कैसे अलर्ट रहना हम इस वीडियो के जरिए आपको बताने जा रहे हैं।
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