महिलाओं में बढ़ती हार्ट की प्रॉब्लम

Edited By ,Updated: 29 Sep, 2015 01:22 PM

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29 सितंबर को पूरे विश्व में वर्ल्ड हार्ट के रूप में मनाया जाता है। वैसे तो इसे मनाने का उद्देश्य केवल हार्ट प्रॉब्लम्स से बचाव और लोगों में अवेयरनेस फैलाना है,

29 सितंबर को पूरे विश्व में वर्ल्ड हार्ट के रूप में मनाया जाता है। वैसे तो इसे मनाने का उद्देश्य केवल हार्ट प्रॉब्लम्स से बचाव और लोगों में अवेयरनेस फैलाना है, मगर हर साल वर्ल्ड हार्ट डे पर हार्ट पेशेंट्स की तादात पहले से ज्यादा बढ़ जाती है। अभी तक यह सिर्फ कहावतों में कहा जाता था कि महिलाओं का दिल कमजोर होता है, मगर अब यह साबित हो रहा है। 

भारतीय महिलाओं में हार्ट डिसीज एक बड़े किलर के रूप में सामने आ रही हैं। भारत में महिलाएं कैंसर, एड्स और मलेरिया से ज्यादा कार्डियोवास्कुलर डिजीजेस की शिकार हैं। युवा महिलाएं भी अब दिल से संबंधित बीमारियों से सुरक्षित नही हैं। 20 से 40 साल की उम्र में महिलाओं को एस्ट्रोजन हार्मोन की वजह से दिल की बीमारियों से सेफ माना जाता था लेकिन इसी उम्र में दिल के रोग बढ़ रहे हैं। 

यंगस्टर में कार्डियो वास्कुलर डिजीजेस के लिए काम से रिलेटिड स्ट्रेस बड़ा फैक्टर है। जरूरत से ज्यादा तनाव के कारण शरीर में कोलेस्ट्रॉल डिपॉजिट होने लगता है जिससे कॉरोनरी आर्टरीज में ब्लॉकेज हो जाता है और कार्डियो वास्कुलर डिजीजेस होने का खतरा बढ़ जाता है। पुरूषों की अपेक्षा महिलाओं की आर्टरीज छोटी होती हैं इसलिए इनकी जान जाने का खतरा भी ज्यादा होता है। पिछली कुछ समय में भारत में नशा करने वाली महिलाएं दोगुना हो गई हैं, इसका कारण कहीं न कहीं स्ट्रेस है। 

सिडेंटरी लाइफ स्टाइल और एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी इसका मुख्य कारण माना जाता है। दूसरा, महिलाएं दिल संबंधी बीमारियों को नजरअंदाज करती हैं। भारतीय महिलाएं वैसे भी अपनी सेहत से ज्यादा अपने पति, बच्चे, मां-बाप की सेहत का ख्याल रखती हैं और इस सबके बीच वो यह भूल जाती हैं कि उनकी सेहत का ख्याल रखना भी उनके लिए बहुत जरूरी है। न तो वो कोई लाइफ स्टाइल फॉलो करती हैं न ही अपने खाने पीने का ध्यान रखती हैं, जिससे उनका वजन भी बढ़ जाता है और इनकी मृत्यु का कारण बनता है अस्पताल में देर से आना। पिछले कुछ साल से साइलेंट हार्ट अटैक का मामला बढ़ा है।

ये हैं कारण

-लाइफ में बढ़ती टेंशन

-समय से पहले पीरियड बंद होना

-एंड्रोजनल हार्मोन का लेवल कम होना

-किसी कारणवश ओवरी सर्जरी से निकाल देना

-हाइजेनिक के बजाए स्ट्रीट फूड ज्यादा खाना

-वेट का लगातार बढऩा

-एक्सरसाइज न करना

-ब्लडप्रेशर की प्रॉब्लम

-भोजन में अधिक नमक, वसा और मीठा का यूज

ऐसे करें पहचान

-बेचैनी, सीने के बीच में या बाई ओर हल्का तेज दर्द

-सीने में चुभन और सांस फूलना

-दर्द के साथ पसीना आना

-शरीर का ठंडा पडऩा

-बोलने में जुबान लडख़ड़ाना

-पेट में गैस, उल्टी महसूस होने के साथ चक्कर आना

 

इन्हें है खतरा

- मोटापे के कारण हार्ट डिसीज़ का खतरा बढ़ जाता है।

- नाइट शिफ्ट में काम करने वालों में हार्ट डिसीज़ का खतरा अधिक

- हाई ब्लड प्रेशर को इसका शुरुआती लक्षण माना जा सकता है। 

-  बिजी और सिडेंटरी लाइफ स्टाइल दिल के रोग देती है।

इन बातों का करें ध्यान

डाक्टर्स भी मानते हैं कि हार्ट प्रॉब्लम से बचाव सिर्फ लाइफ स्टाइल सुधार कर ही किया जा सकता है और हार्ट प्रॉब्लम को कम करने में जहां 50 प्रतिशत रोल दवाएं निभाती  हैं, वही 50 प्रतिशत क्रेडिट आपके हेल्दी लाइफ स्टाइल को भी जाता है।

- हाइट के हिसाब से वेट हमेशा कंट्रोल रहना चाहिए।

- 40 साल की उम्र पार करते ही चीनी, चिकनाई और नमक कम कर देना चाहिए.

- हर रोज तेज कदमों से आधा घंटे की वॉक जरूर करनी चाहिए।

- लाइफ स्टाइल को एक्टिव बनाएं। अपने लाइफ स्टाइल में एक्सरसाइज या योगा को जरूर जगह देनी चाहिए।

- बहुत ज्यादा जंक फूड नहीं खाना चाहिए।

- स्मोकिंग कम करनी चाहिए।

-शुगर के मरीज को अपनी शुगर कंट्रोल रखनी चाहिए।

- ऐसे लोगों को सबसे ज्यादा केयर करनी चाहिए, जिनकी फैमिली हिस्ट्री में हार्ट प्रॉब्लम्स होती है।

- बीपी मॉनिटर करते रहना चाहिए और कॉलेस्ट्रोल भी बैलेंस रहना चाहिए.

-किसी भी परेशानी से बचने के लिए एल्कोहल, सिगरेट या जंक फूड का सहारा लेने की बजाय फल और सब्जियां खाएं।

-स्ट्रेस को दूर रखने के लिए लाइट म्यूजिक सुनें।

 

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