'भारत को हो सकता है 49.47 अरब डॉलर का नुक्सान'

Edited By ,Updated: 27 May, 2016 01:45 PM

indias gdp may be a loss of  49 billion

जलवायु परिवर्तन और जनसंख्या में लगातार हो रही बढ़ौतरी के कारण भविष्य में खाद्य पदार्थों की कीमतें बढऩे से चीन के बाद भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) में सबसे अधिक 49.47 अरब डॉलर की कमी आ सकती है।

न्यूयार्क: जलवायु परिवर्तन और जनसंख्या में लगातार हो रही बढ़ौतरी के कारण भविष्य में खाद्य पदार्थों की कीमतें बढऩे से चीन के बाद भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) में सबसे अधिक 49.47 अरब डॉलर की कमी आ सकती है।

संयुक्त राष्ट्र की जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि जनसंख्या वृद्धि और जलवायु परिवर्तन के कारण फसलों के उत्पादन में गिरावट होने से भविष्य में अगर खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ौतरी होती है तो भारत के जी.डी.पी. को 49.47 अरब डॉलर का नुक्सान होने की आशंका है। 

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘भविष्य में खाद्य पदार्थों की मांग असंतुलित होने से पूरी दुनिया में खाद्य पदार्थों की कीमत में बढ़ौतरी होने की आशंका है। जनसंख्या और आय में बढ़ौतरी होने से खाद्य पदार्थों की मांग बढ़ेगी। वहीं जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक संसाधनों जैसे पानी और जमीन की उपलब्धता कम होने से इसकी आपूर्ति प्रभावित हो सकती है। 

अमरीका को होगा फायदा

रिपोर्ट के अनुसार इन्हीं कारणों से चीन के जी.डी.पी. को सबसे अधिक 161.30 अरब डॉलर की चपत लग सकती है। वहीं नाइजीरिया को 40.66 अरब डॉलर, इंडोनेशिया को 22.24 अरब डॉलर और जापान को 19.36 अरब डॉलर का नुक्सान हो सकता है। वहीं खाद्य पदार्थों की कीमतें बढऩे से अमरीकी जी.डी.पी. में सबसे अधिक 3.28 अरब डॉलर की बढ़त होगी। इसके बाद पैराग्वे को 1.78 अरब डॉलर, आस्ट्रेलिया को 1.5 अरब डॉलर, उरुग्वे को 1.46 अरब डॉलर और ब्राजील 1.18 अरब डॉलर का फायदा होगा।

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार जलवायु परिवर्तन के कारण वैश्विक स्तर पर अनाजों के उत्पादन में कमी आएगी जो मांग एवं आपूर्ति के स्तर को असंतुलित करेगा। जलवायु परिवर्तन से प्रत्येक दशक में पैदावार एक प्रतिशत घटने जबकि खाद्य पदार्थों की मांग में 14 प्रतिशत की बढ़ौतरी होने का अनुमान है। 

यह भी है रिपोर्ट में

- वैश्विक स्तर पर सिंचाई के लिए जल की उपलब्धता एक गंभीर चुनौती होगी जो खाद्यान्न उत्पादन को प्रभावित करेगा।

- पानी की कमी की समस्या झेलने वालों में उत्तर-पश्चिम भारत, उत्तर-पूर्व चीन, कैलिफोर्निया की मध्य घाटी और मध्य-पश्चिम अमरीका सहित दुनिया के प्रमुख कृषि प्रधान क्षेत्र हैं।

- वर्ष 2050 तक विश्व की जनसंया वर्ष 2005 के स्तर से 50 प्रतिशत बढ़कर 9.6 अरब पर पहुंचने का अनुमान है। 

- वर्ष 2050 तक लोगों की प्रति व्यक्ति आय दोगुनी होने की उमीद है। इससे खाद्य पदार्थों की मांग में भी 54 से 98 प्रतिशत तक की बढ़ौतरी हो सकती है। 

- वर्ष 2030 तक शहरों के इनबिल्ट एरिया में 175 प्रतिशत की बढ़ौतरी होने का अनुमान है।

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