अफगानिस्तान से गहरे 'जख्म' लेकर भारत आए 14 सिख परिवार, बताया खौफनाक मंजर

Edited By Isha,Updated: 21 Jul, 2018 01:27 PM

14 sikh families came to india from deep wounds from afghanistan

अफगानिस्तान के जलालाबाद में 1 जुलाई को हुए बम धमाकों से बचकर निकले 14 सिख परिवार कभी न भरने वाले जख्मों को लेकर वापिस आए। यह हादसा तब हुआ था जब वे सिख-हिंदू कम्युनिटी का काफिला अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी से मिलने जा रहा था, जिसे आतंकियों ने...

इंटरनैशनल डेस्कः अफगानिस्तान के जलालाबाद में 1 जुलाई को हुए बम धमाकों से बचकर निकले 14 सिख परिवार कभी न भरने वाले जख्मों को लेकर वापिस आए। यह हादसा तब हुआ था जब वे सिख-हिंदू कम्युनिटी का काफिला अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी से मिलने जा रहा था, जिसे आतंकियों ने शिकार बनाया था। धमाकों की वजह से 19 लोगों की जान चली गई, जिनके परिवारों पर मानों दुखों का पहाड़ टूट पड़ा हो। धमाकों में जान गंवानेवालों और घायल लोगों के करीब 14 परिवार अब बेहतर इलाज के लिए दिल्ली आए हैं। 
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धमाको से बचकर दिल्ली पहुंचे नरेंद्र सिंह खालसा ने अपना आप-बीती सुनाते बताया कि 'वह एक भयानक सपने जैसा था, मैंने वहां अक्सर बम फटते देखे थे, लेकिन मैं भी उनमें से किसी एक का शिकार बन जाऊंगा ऐसा सोचा नहीं था।' वह इस वक्त एेम्स में इलाज करवा रहे है।  हमले में उन्होंने अपने पिता अवतार सिंह खालसा को खो दिया, वह सिख नेता थे। नरेंद्र कहते हैं, 'अचानक एक बम फटा, मैंने देखा कि कुछ लोगों ने वहीं दम तोड़ दिया। मेरे जैसे घायल लोग एक दूसरे की मदद से गाड़ियों से बाहर निकलने की कोशिश कर रही रहे थे कि दूसरा बम फट गया।' धमाके में मनमीत सिंह नाम के सिख ने भी जान गंवाई, उनके साथ उनके पिता भी मारे गए। दिल्ली आई उनकी पत्नी उस दिन को याद करते हुए कहती हैं, 'हमारे घर के बाहर कुछ लोग भागते हुए आए और चिल्लाने लगे कि कुछ सिख लोगों को आतंकियों ने मार दिया है।'
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हमले में अपने पति और बेटे को खोने वाली मनमीत की मां ने बताया कि  'मेरी बेटी भागती हुई मेरे पास आई और बोली मां हम दोनों विधवा हो गए। मैंने यह सुनते ही उसे एक थप्पड़ लगाया और कहा कि किसी की बातों पर ऐसे विश्वास न किया करे। फिर मैं खुद भागती हुई धमाके वाली जगह पर गई, लेकिन पुलिस ने मुझे काफी दूर ही रोक लिया था।' फिर बाद में फोन के जरिए मनमीत और उनके पिता की मौत की जानकारी मिली थी। हमले में राजू सिंह नाम के शख्स की भी जान गई है, जिनके चार छोटे बच्चे हैं। राजू की मां रोते हुए बतायी कि उनके दो बेटों की मौत पहले ही हो चुकी थी। अब परिवार के बच्चों और 5 औरतों का खर्च चलाना उनके लिए मुश्किल होगा। ये लोग फिलहाल विकासपुरी में अपने रिश्तेदारों के यहां रह रहे हैं। 
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गुरुवार को भारत आने के बाद से ये परिवार अपने रिश्तेदारों के पास रह रहे हैं, लेकिन ये रोजाना वेस्ट दिल्ली के रघुबीर नगर में मौजूद काबुली गुरुद्वारा जरूर जाते हैों। वहां इन्हें खाने के साथ-साथ बाकी तरह की मदद भी मिल रही हैं। गुरुद्वारे की मैनेजमेंट कमिटी के अध्यक्ष मनजीत सिंह कहते हैं, 'इन परिवारों की हालत बेहद खराब है। हम हरसंभव मदद कर रहे हैं।' 

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