पाकिस्‍तान में बेरोजगारी की मार, चपरासी के 1 पद के लिए 15 लाख लोगों ने किया आवेदन

Edited By Tanuja,Updated: 28 Sep, 2021 11:41 AM

15 lakh applicant for peon job in pakistan

हाल ही में आई एक रिपोर्ट ने पाकिस्तान की चरमराती अर्थव्यवस्था के बीच बेरोजगारी की काली सच्चाई को भी उजागर किया है। इमरान खान सरकार लोगों को रोजगार देने में असफल साबित हुई है जिस कारण पाकिस्तान में बेरोजगारी दर उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। इस बात का...

इस्लामाबादः  हाल ही में आई एक रिपोर्ट ने पाकिस्तान की चरमराती अर्थव्यवस्था के बीच बेरोजगारी की काली सच्चाई को भी उजागर किया है। इमरान खान सरकार लोगों को रोजगार देने में असफल साबित हुई है जिस कारण पाकिस्तान में बेरोजगारी दर उच्चतम स्तर पर पहुंच गई  है। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि चपरासी के एक पद के लिए 15 लाख लोगों ने आवेदन किया है। सोमवार को पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स (PIDE) के आंकड़ों के अनुसार पाकिस्तान में बेरोजगारी दर 16 प्रतिशत तक पहुंच गई है। यह इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान सरकार के 6.5 प्रतिशत के दावे के विपरीत  है। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के 24% शिक्षित लोगों के पास फिलहाल कोई नौकरी नहीं है।

 

निराशा की बात यह है कि एम.फिल जैसी डिग्री रखने वाले भी चपरासी की नौकरी के लिए आवेदन करने को मजबूर हैं। पाकिस्तान की सांख्यिकी ब्यूरो (पीबीएस) द्वारा प्रकाशित श्रम बल सर्वेक्षण (एलएफएस) के अनुसार  2017-18 में पाकिस्तान की बेरोजगारी 5.8 फीसदी  से बढ़कर 2018-19 में 6.9 फीसदी हो गई है। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के सत्ता में आने पहले वर्ष में पुरुषों और महिलाओं दोनों के मामले में बेरोजगारी में वृद्धि देखी गई, पुरुष बेरोजगारी दर 5.1 फीसद से बढ़कर 5.9 फीसद और महिला बेरोजगारी दर 8.3 फीसद से बढ़कर 10 फीसद हो गई।

 

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक PIDE ने बेरोजगारी की बढ़ती दर की एक गंभीर तस्वीर को उजागर किया है और कहा है कि देश में इस समय कम से कम 24 फीसदी शिक्षित लोग बेरोजगार हैं। योजना और विकास पर सीनेट की स्थायी समिति को अपनी ब्रीफिंग में PIDE ने कहा कि देश भर में 40 फीसद शिक्षित महिलाएं (स्नातक से कम या स्नातक) भी बेरोजगार थीं।रिपोर्ट के मुताबिक उच्च न्यायालय में एक चपरासी के पद के लिए कम से कम 15 लाख लोगों ने आवेदन किया था। अधिकारियों ने कहा कि नौकरी के लिए आवेदन करने वालों में एमफिल डिग्री धारक भी शामिल रहे।

 
डान अखबार के अनुसार, PIDE ने  बताया कि कुछ शिक्षित लोग पढ़ाई जारी रखने के लिए एमफिल की पढ़ाई में दाखिला लेते हैं क्योंकि वे बेहतर नौकरी पाने के लिए संघर्ष करते हैं। इसने बेरोजगारी दर को भी कम कर दिया क्योंकि उन्हें आंकड़ों में शामिल नहीं किया गया है। अधिकारियों का हवाला देते हुए डान अखबार ने आगे बताया कि हाल में विज्ञापित एक उच्च न्यायालय में एक चपरासी के पद के लिए कम से कम 15 लाख लोगों ने आवेदन किया था।  नौकरी के लिए आवेदन करने वालों में एमफिल डिग्री धारक भी शामिल रहे।

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