Edited By Tanuja,Updated: 24 Dec, 2018 06:27 PM
ट्रंप प्रशासन द्वारा इस साल अगस्त में घोषित नई छात्र वीजा नीति को हार्वर्ड और एमआइटी समेत अमेरिका के 65 विश्वविद्यालयों ने कोर्ट में चुनौती दी है। उनका कहना है कि इससे अमेरिका की उच्च शिक्षा प्रणाली को झटका लगेगा...
न्यूयार्कः ट्रंप प्रशासन द्वारा इस साल अगस्त में घोषित नई छात्र वीजा नीति को हार्वर्ड और एमआइटी समेत अमेरिका के 65 विश्वविद्यालयों ने कोर्ट में चुनौती दी है। उनका कहना है कि इससे अमेरिका की उच्च शिक्षा प्रणाली को झटका लगेगा। बता दें कि इस नीति के कारण चीन, कनाडा और रूस के कारण पहले ही अमेरिका में पढ़ने आने वाले विदेशी छात्रों की संख्या घट रही है।
विदेशी छात्रों के मामले में वर्ष 2000 में अमेरिका की हिस्सेदारी 23 फीसद थी, जो 2012 में घटकर 16 फीसद रह गई। विश्वविद्यालयों का कहना है कि विदेशी छात्रों को अधिक दिनों तक अमेरिका में रहने से प्रतिबंधित करना देश के हित में नहीं है। मौजूदा नियमों के तहत वीजा अवधि समाप्त होने पर भी छात्र छह महीने तक अमेरिका में रह सकते हैं। इस अवधि के बाद ही सरकार उन्हें वापस उनके देश भेजने के साथ ही उन पर तीन साल का प्रतिबंध भी लगा सकती है। छह महीने की यह अवधि वीजा खत्म होने का सरकारी नोटिस आने के अगले दिन से शुरू होती है। लेकिन प्रस्तावित नए नियमों में डिग्री पूरी होते ही या वीजा अवधि खत्म होते ही विदेशी छात्रों के अमेरिका में रुकने को गैरकानूनी करार दे सकता है।
इस नियम का उल्लंघन करने वाले को दोबारा अमेरिका आने से तीन या दस साल तक के लिए प्रतिबंधित किया जा सकता है। येल और प्रिंसटन जैसे विश्वविद्यालयों का कहना है कि यह नियम एफ, जे और एम श्रेणी में अकादमिक वीजा लेकर आए छात्रों के साथ ही शैक्षणिक संस्थानों और देश के हित में भी नहीं है। ये विदेशी छात्र अमेरिकी अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। नेशनल एसोसिएशन ऑफ फॉरेन स्टूडेंट एडवाइजर के मुताबिक 2017-18 में विदेशी छात्रों ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था में 39 अरब डॉलर का योगदान दिया था।