Edited By vasudha,Updated: 30 Aug, 2019 04:10 PM
ऑस्ट्रेलिया के एक न्यायाधीश ने देर रात श्रीलंका जा रहे एक विमान को फोन किया और उसमें सवार एक परिवार को प्रत्यर्पण से अस्थायी तौर पर बचा लिया। इस परिवार में दो बच्चे भी शामिल हैं, जिनका जन्म ऑस्ट्रेलिया में ही हुआ है। इस घटना ने राजनीतिक खलबली मचा दी...
नेशनल डेस्क: ऑस्ट्रेलिया के एक न्यायाधीश ने देर रात श्रीलंका जा रहे एक विमान को फोन किया और उसमें सवार एक परिवार को प्रत्यर्पण से अस्थायी तौर पर बचा लिया। इस परिवार में दो बच्चे भी शामिल हैं, जिनका जन्म ऑस्ट्रेलिया में ही हुआ है। इस घटना ने राजनीतिक खलबली मचा दी है।
ऑस्ट्रेलिया की रूढ़िवादी सरकार ने वीरवार को तमिल परिवार को मेलबर्न के आव्रजन हिरासत केंद्र से निकालकर विमान के माध्यम से श्रीलंका भेजने का आदेश दिया था। लेकिन संघीय न्यायाधीश हीदर रिले ने विमान अधिकारियों को फोन किया जिसके बाद पायलट ने विमान उतारा और परिवार को डार्विन शहर में भेज दिया। इस घटना ने ऑस्ट्रेलिया की कट्टर आव्रजन नीति रखने वाली सरकार को लेकर एक नया विवाद खड़ा किया है।
सरकार की नीति के तहत देश में नाव से पहुंचने वाले शरणार्थियों को लौटा दिया जाता है और उन्हें वस्तुत: हिरासत केंद्र में रख दिया जाता है। संयुक्त राष्ट ने इन दोनों कदमों की आलोचना की है। दंपति ऑस्ट्रेलिया में नाव के सहारे अलग-अलग 2012 और 2013 में यहां पहुंचे थे। इनकी बेटी कोपिका का जन्म यहीं हुआ और उसके बाद थारूनीक्का का जन्म भी यहीं हुआ है। दोनों लड़कियां क्रमश: चार साल और दो साल की हैं।
गृह मंत्री पीटर डट्टन ने जोर दिया कि यह परिवार शरणार्थी नहीं है औंर वह ऑस्ट्रेलियाई सुरक्षा का पात्र नहीं है। तमिल शरणार्थी परिषद के प्रवक्ता आरन माइलवागनम ने कहा कि वे यहां नाव से आए थे और हम इसको लेकर बेहद स्पष्ट हैं कि वह यहां नहीं रूकेंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि परिवार को श्रीलंका में जीवन का खतरा है। श्रीलंका तमिल लोगों के लिए खतरनाक देश है।