इंगलैंड में अगले साल शुरू होगा डिग्रेडेबल पेमेंट कार्ड, आसानी से हो जाएगा नष्ट

Edited By Tanuja,Updated: 22 Dec, 2018 04:00 PM

a new degradable payment card will be launched in 2019

प्लास्टिक कचरे और पर्यावरण को लेकर बढ़ती जागरूकता के चलते अगले साल नए तरह का डेबिट-क्रेडिट कार्ड शुरू होने जा रहा है। बताया जा रहा है कि यह डिग्रेडेबल पेमेंट कार्ड अपनी अवधि पार करने के बाद आसानी से नष्ट किया जा सकेगा

लंदनः प्लास्टिक कचरे और पर्यावरण को लेकर बढ़ती जागरूकता के चलते अगले साल नए तरह का डेबिट-क्रेडिट कार्ड शुरू होने जा रहा है। बताया जा रहा है कि यह डिग्रेडेबल पेमेंट कार्ड अपनी अवधि पार करने के बाद आसानी से नष्ट किया जा सकेगा। यह अपने आप ही मिट्टी में घुल जाएगा। कैशप्लस नाम की डिजिटल बैंकिंग सर्विस प्रोवाइडर कंपनी इसे लांच करने जा रही है।

कंपनी के मुताबिक कार्ड बनाते वक्त पीवीसी (पॉलीविनाइल क्लोराइड) में ऐसा रसायन मिलाया गया है जिससे यह कार्ड फेंकने के बाद कुछ दिनों में कार्ड मिट्टी में मिल जाएगा। यह कार्ड दिखने में आम कार्ड की तरह ही है। कैशप्लस का यह डिग्रेडेबल कार्ड बेचने वाली कंपनी टैग्निटेकरेस्ट ने बनाया है। बताया जा रहा है कि कार्ड के पीछे सिग्नेचर करने वाली स्ट्रिप नहीं होगी। इससे पहले मास्टरकार्ड ने भी अप्रैल 2019 से बिना सिग्नेचर स्ट्रिप वाले कार्ड लाने की बात कही है। कैशप्लस के सीईओ रिच वैग्नर ने कहा लोग प्लास्टिक कचरे और पर्यावरण को लेकर दिनों-दिन जागरूक होते जा रहे हैं। इसलिए हम अपने ग्राहकों को बेहतर च्वाइस देना चाहते हैं।

उन्होंने कहा कि डिजिटल युग के इस कार्ड से सिग्नेचर स्ट्रिप हटा दी गई है। सिग्नेचर वेरिफिकेशन की तकनीक अब पुरानी हो चुकी है। यह कार्ड बायो-डिग्रेडेबल प्लास्टिक से अलग होंगे। बायो-डिग्रेडेबल प्लास्टिक पौधों से निकलने वाले पदार्थों से बनाए जाते हैं। पारंपरिक प्लास्टिक रसायन से बनते हैं। हर साल बनते हैं 600 करोड़ प्लास्टिक कार्ड दुनिया में हर साल 30,000 टन पीवीसी का इस्तेमाल करके 600 करोड़ प्लास्टिक कार्ड बनाए जाते हैं। यह आधे लीटर वाली पानी 300 करोड़ प्लास्टिक बोतलों के वजन के बराबर है।

पहली बार प्लास्टिक कार्ड 1907 में बनाया गया था। दुनिया में हर साल करीब 38 करोड़ टन प्लास्टिक का उत्पादन होता है। अगले 15 साल में इसके दोगुना होने के आसार हैं। एक अनुमान के मुताबिक 2017 में ग्लोबल प्लास्टिक पैकेजिंग मार्केट 22 लाख करोड़ रु. का था। 2014 में यह बढ़कर 31 लाख करोड़ का हो गया। इंडस्ट्री में हर साल 50,000 करोड़ प्लास्टिक की थैलियां इस्तेमाल होती हैं। जबकि हर मिनट में 10 लाख प्लास्टिक के बोतलों की बिक्री हैं।

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