अफगानिस्तान में महिलाओं ने तालिबानी पाबंदियों खिलाफ किया विद्रोह, संगीत को बनाया हथियार

Edited By Tanuja,Updated: 31 Aug, 2024 12:16 PM

afghan women filmed singing in protest of ban on their voices

तालिबान के अफगानिस्तान में सत्ता में आने के बाद से महिलाओं के अधिकारों पर लगातार हमले हो रहे हैं। तालिबान ने महिलाओं के लिए सार्वजनिक जीवन में कई पाबंदियां लगाई हैं...

International Desk: तालिबान के अफगानिस्तान में सत्ता में आने के बाद से महिलाओं के अधिकारों पर लगातार हमले हो रहे हैं। तालिबान ने महिलाओं के लिए सार्वजनिक जीवन में कई पाबंदियां लगाई हैं, जिनमें सार्वजनिक स्थलों पर बोलने, गाने और चेहरा दिखाने पर प्रतिबंध शामिल है। इन दमनकारी कानूनों के विरोध में अब अफगान महिलाएं अपनी आवाज़ उठा रही हैं। उन्होंने एक ऑनलाइन मुहिम शुरू की है, जिसके तहत महिलाएं गाना गाकर उसका वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड कर तालिबान को चुनौती दे रही हैं। इस मुहिम में शामिल एक महिला ने अपना चेहरा ढक कर गाने का एक वीडियो साझा किया है।

 

वीडियो में महिला के गाने के बोल हैं, "आपने अगली सूचना तक मेरे मुंह पर चुप्पी की मुहर लगा दी। अगली सूचना तक आप मुझे रोटी और खाना नहीं देंगे, आपने मुझे महिला होने के अपराध में घर के अंदर कैद कर दिया है।" एक अन्य महिला ने गाते हुए कहा, "यदि मैं अस्तित्व में नहीं हूं, तो आप (तालिबान) कौन हैं? तुम्हारे बीच सच्चे पुरुष कहां हैं?" इस्लामी शिक्षाओं और धार्मिक ग्रंथों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि तालिबानियों को उचित शिक्षा की जरूरत है। महिलाएं आज़ादी के बदले तालिबान की हर चुनौती का सामना करने को तैयार हैं। यह विरोध अब अफगानिस्तान से बाहर दक्षिण एशिया और यूरोप के अन्य हिस्सों में भी फैल रहा है। सैकड़ों अफगान महिलाएं, जो अफगानिस्तान से बाहर रहती हैं, गाना गाकर तालिबान के खिलाफ अपना विरोध दर्ज करा रही हैं।

 

डॉ. जहरा, जो अब जर्मनी में रहती हैं, ने भी इस अभियान में भाग लिया है। उन्होंने गाना गाकर कहा, "यदि मैं नहीं हूं, तो तुम नहीं।" इस गीत के माध्यम से वह यह संदेश देना चाहती हैं कि समाज के निर्माण में महिलाएं कितनी महत्वपूर्ण हैं। डॉ. जहरा पहले अफगानिस्तान में एक डेंटिस्ट थीं। तालिबान के सत्ता में आने के बाद उनकी नौकरी चली गई। उन्होंने महिलाओं को संगठित किया और अधिकारों के लिए सड़कों पर प्रदर्शन किया, लेकिन तालिबान ने उन्हें जेल में डाल दिया। अब वे जर्मनी में रहकर महिलाओं से संगठित होकर तालिबान के खिलाफ लड़ने की अपील कर रही हैं।

 

इसके अलावा, वेस्टर्न हेरात यूनिवर्सिटी की एक पूर्व लेक्चरर ने कहा कि तालिबान हमारी आवाज नहीं दबा सकता। हम इस समाज का आधा हिस्सा हैं। उन्हें हमारी शक्ति का अहसास नहीं है। वे हेरात में प्रदर्शन रैली आयोजित करने जा रही हैं, जिसमें महिलाओं की भागीदारी भी होगी। अफगान महिलाओं का यह संघर्ष अब पूरी दुनिया के सामने एक मिसाल बनता जा रहा है, और वे अपनी आवाज़ उठाने से पीछे नहीं हट रही हैं।

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