अफगानिस्तान में खजाने की खोज, प्राचीन बौद्ध सिटी को ध्वस्त करेगा चीन

Edited By Anil dev,Updated: 23 Jun, 2022 10:25 AM

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अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के पास एक प्राचीन बौद्ध शहर के अस्तित्व को खतरा पैदा हो गया है। दरअसल इस शहर में दुनिया के सबसे बड़े तांबे के भंउार को निकालने का काम चीन के पास है

इंटरनेशनल डेस्क: अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के पास एक प्राचीन बौद्ध शहर के अस्तित्व को खतरा पैदा हो गया है। दरअसल इस शहर में दुनिया के सबसे बड़े तांबे के भंउार को निकालने का काम चीन के पास है और तालिबान शासन अब इसे जारी रखना चाहता है।  2007 में चीनी खनन दिग्गज मेटलर्जिकल ग्रुप कॉरपोरेशन (एमसीसी) ने 3 अरब डॉलर में 30 सालों तक अयस्क निकालने के लिए अफगानिस्तान सरकार से करार किया था। इस करार के 15 साल बीतने के बाद खदान को अभी भी खोजा नहीं जा सका है और अनुबंध की वित्तीय शर्तों पर बीजिंग और काबुल के बीच असुरक्षा और असहमति के कारण देरी हुई है। अब तालिबान का कब्जा होने के बाद यह परियोजना एक बार फिर से दोनों पक्षों के लिए एक प्राथमिकता है।

पहले कर रहे थे पुरातत्वविद खोज
चीनी कंपनी ने जिस तरह इस क्षेत्र को खोदना शुरू किया है, उससे आशंकाएं बढ़ रही हैं कि सिल्क रोड पर सबसे समृद्ध व्यापार केंद्रों में से एक माना जाने वाला ये स्थान बिना निरीक्षण के गायब हो सकता है। पुरातत्वविद वरुत्सिकोस ने मीडिया को दिए एक बयान में बताया है कि 2010 के दशक की शुरुआत में यह दुनिया की सबसे बड़ी पुरातात्विक परियोजनाओं में से एक था। पहले चीनी कंपनी एमजेएएम ने मूल रूप से तीन साल के लिए संचालन की शुरुआत को निलंबित कर दिया था, ताकि पुरातत्वविदों को सीधे खदान से खतरे वाले क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करने की अनुमति मिल सके। बाद में उस अवधि को अनजाने में लंबा कर दिया गया था, क्योंकि सुरक्षा स्थिति ने चीनियों को नियोजित बुनियादी ढांचे के निर्माण से रोका रखा था, लेकिन अब तालिबान की इजाजत मिलने के बाद अब सारा खेल चीन की हाथों में है।

तालिबान का दावा, अवशेषों को करेंगे संरक्षित  
इस स्थान पर खुदाई के दौरान मिली काफी साफी चीजों को काबुल म्यूजियम ले जाया गया और बाकी सामानों को अफगानिस्तान सरकार ने संरक्षित करने के आदेश दे दिए थे। वहीं जब तालिबान साल 2021 में पहली बार सत्ता में आया था, तो उसने बामियान के विशाल बौद्ध प्रतिमा को बम से उड़ा कर पूरी दुनिया को चौंका दिया था। तालिबान ने कहा है कि वो मेस अयनक में मिले सामानों को संरक्षित रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। अफगानिस्तान के खान और पेट्रोलियम मंत्रालय के प्रवक्ता एस्मातुल्लाह बुरहान ने कहा है कि उनकी रक्षा करना सूचना और संस्कृति मंत्रालय का कर्तव्य है। कई लोगों को तालिबान के दावे पर शक है। चीनी कंपनी ने खुदाई शुरू कर दी है, लेकिन यहां के सामानों को संरक्षित करने की कोशिश शुरू नहीं की जा रही है। कई अवशेष इतने भारी या फिर इतने नाजुक हैं, जिन्हें यहां से निकालने के लिए काफी मेहनत और टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल की जरूरत है। चीनी भूमिगत खनन के बजाय खुले गड्ढ़े खोदते हैं और अगर चीनी खुदाई आगे बढ़ती है, तो यह तांबे के पहाड़ को तो खत्म कर ही देगा साथ में अतीत के सभी अवशेष भी समाप्त हो जाएंगे।

सालाना 30 करोड़ डॉलर की कमाई का अनुमान
अफगानिस्तान तांबे, लोहा, बॉक्साइट, लिथियम और दुर्लभ पृथ्वी के विशाल खनिज संसाधनों से समृद्ध देश है, जिसकी कीमत एक ट्रिलियन डॉलर से अधिक लगाई गई है। तालिबान को मेस अयनक से सालाना 30 करोड़ डॉलर से अधिक की कमाई की उम्मीद है और साल 2022 के लिए तालिबान ने देश का जो बजट बनाया है, उसका 60 प्रतिशत सिर्फ मेस अनयक से ही निकल आएगा। तालिबान के मंत्री बुरहान का कहना है कि यह परियोजना शुरू होनी चाहिए, इसमें अब और देरी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अब सिर्फ तकनीकी प्वाइंट्स को सुलझाने का ही काम बाकी रह गया है। तालिबान ने चीन की सरकार से काबुल में बिजली स्टेशन का निर्माण और पाकिस्तान तक रेल मार्ग बनाने की मांग की है।

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