युद्ध को बढ़ावा देने वाली नीति छोड़े अमेरिका: ईरान

Edited By shukdev,Updated: 11 Sep, 2019 07:09 PM

america abandons policy promoting war iran

ईरान ने अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन को पद से हटाए जाने का स्वागत करते हुए कहा कि अमेरिका को युद्ध को बढ़ावा देने वाली नीति छोड़नी चाहिए। ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी ने बुधवार को कहा कि अमेरिका को समझना चाहिए कि युद्ध को बढ़ावा...

तेहरान: ईरान ने अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन को पद से हटाए जाने का स्वागत करते हुए कहा कि अमेरिका को युद्ध को बढ़ावा देने वाली नीति छोड़नी चाहिए। ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी ने बुधवार को कहा कि अमेरिका को समझना चाहिए कि युद्ध को बढ़ावा देने वाले लोग उसके हितों के खिलाफ हैं और ऐसे लोगों को हटाया जाना चाहिए। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मंगलवार को ट्वीट कर बोल्टन की नीतियों और सुझावों से असहमत होने का हवाला देते हुए उन्हें अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के पद से हटाए जाने की घोषणा की थी। 

रूहानी ने कैबिनेट की एक बैठक में कहा,‘अमेरिका को यह समझना चाहिए कि युद्ध को बढ़ावा देने वाले लोग और ऐसी नीति सही नहीं है और उसे युद्ध को उकसाने वालों को रोकना चाहिए।' दरअसल, बोल्टन को ईरान के खिलाफ कड़े रुख के लिए जाना जाता है, उन्होंने ईरान के साथ बातचीत करने का भी विरोध किया था। बोल्टन के कार्यकाल के दौरान ही अमेरिका ईरान परमाणु समझौते से अलग हुआ और तेहरान पर कड़े प्रतिबंध लगाए। इसके अलावा अमेरिका ने फारस की खाड़ी में सैनिकों की तैनाती भी शुरू की। ईरान की सरकार के प्रवक्ता ने बोल्टन को हटाए जाने का स्वागत करते हुए कहा कि युद्ध के सबसे बड़े प्रायोजक के जाने से अमेरिका ईरान को बेहतर तरीके से समझ सकेगा। 

संयुक्त राष्ट्र में ईरान के स्थायी प्रतिनिधि माजिद तख्त रवांची ने कहा कि बोल्टन के हटने का अमेरिका-ईरान के संबंधों पर कितना असर होगा यह भविष्य ही तय करेगा। अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने मंगलवार को कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा की इस माह होने वाली बैठक से इतर ट्रम्प और रूहानी के बीच मुलाकात हो सकती है। गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने गत वर्ष मई में ईरान परमाणु समझौते से अपने देश के अलग होने की घोषणा की थी। इसके बाद से ही दोनों देशों के रिश्ते बहुत ही तल्ख हो गए हैं। 

इस परमाणु समझौते के प्रावधानों को लागू करने को लेकर भी संशय की स्थिति बनी हुई है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2015 में ईरान ने अमेरिका, चीन, रूस, जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। समझौते के तहत ईरान ने उस पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों को हटाने के बदले अपने परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने पर सहमति जताई थी।

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