अमरीका-चीन ट्रेड वार से दुनिया का आर्थिक ताना-बाना संकट में

Edited By Tanuja,Updated: 08 Jul, 2018 11:55 AM

america china trade war is the world s economic warfare crisis

अमरीका और चीन के बीच ट्रेड वार तेज होने से भारत की चिंता बढ़ती जा रही है। दोनों देश एक दूसरे के कारोबारी हितों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन अगर दोनो देशों के बीच जल्द कोई समझौता नहीं होता है और दुनिया के दूसरे देश भी ...

बीजिंगः अमरीका और चीन के बीच ट्रेड वार तेज होने से भारत की चिंता बढ़ती जा रही है। दोनों देश एक दूसरे के कारोबारी हितों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन अगर दोनो देशों के बीच जल्द कोई समझौता नहीं होता है और दुनिया के दूसरे देश भी अपने उद्योगों को सुरक्षित करने और दूसरे देशों के उद्योगों को नुकसान पहुंचाने संबंधी कदम उठाते हैं तो इसका असर भारत पर ही पड़ना तय है। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि अभी दुनिया के अन्य देशों की तरह भारत भी अमरीका के भावी कदम का इंतजार कर रहा है। अगर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपनी घोषणा के मुताबिक चीन से आयातित और उत्पादों पर आयात शुल्क की दर बढ़ाते हैं तो वह बेहद चिंताजनक होगा।

अमरीका ने पहले कहा है कि वह चीन से आयातित 450 अरब डॉलर के आयात को महंगा करने का कदम उठा सकता है। इस तरह का कदम पूरी दुनिया के आर्थिक ताने बाने को चोट पहुंचा सकता है। ऐसा होने वाले आयात निर्यात व औद्योगिक उत्पादन का मौजूदा ढांचा बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो सकता है। केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों के बीच इस बारे में पहले से ही चर्चा हो रही है। विदेश मंत्रालय के एक बड़े अधिकारी ने पिछले हफ्ते बताया था कि ट्रेड वार की स्थिति को लेकर लगातार दूसरे मंत्रालयों व विभिन्न देशों में भारतीय दूतावासों व मिशनों के साथ लगातार बातचीत चल रही है।

चीन ने जिस तरह से अमरीका से सोयाबीन आयात को महंगा करने के लिए टैक्स लगाए हैं उससे भारतीय सोयाबीन निर्यातकों के लिए वहां कुछ बाजार मिलने के आसार है, लेकिन चिंता की बात यह है कि भारत में सोयाबीन उत्पादन की स्थिति अभी बहुत उत्साहजनक नहीं दिखती। वर्ष 2017-18 में भारत में सोयाबीन उत्पादन 24 फीसद कम हुआ था। चालू वित्त वर्ष में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और कर्नाटक में अच्छी बारिश होने से सोयाबीन उत्पादन बढ़ने के आसार हैं, लेकिन फसल आने में अभी कई महीने लग जाएंगे। उसी तरह से अमरीका ने चीन के इलेक्ट्रॉनिक्स व उपभोक्ता उपकरणों पर टैक्स लगाने का सिलसिला शुरु किया है, लेकिन भारत में इनका कोई बड़ा उद्योग नहीं है जो चीन के विकल्प के तौर पर दावा पेश कर सके।

 

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