Edited By Tanuja,Updated: 19 May, 2019 02:29 PM
ब्रिटेन के सेंटर फॉर पोलर ऑब्जर्वेशन एंड मॉडलिंग (सीपीओएम) के वैज्ञानिकों का कहना है कि अंटार्कटिक क्षेत्र में तेजी से ...
लंदनः ब्रिटेन के सेंटर फॉर पोलर ऑब्जर्वेशन एंड मॉडलिंग (सीपीओएम) के वैज्ञानिकों का कहना है कि अंटार्कटिक क्षेत्र में तेजी से बर्फ पिघल रही है। कई स्थानों पर बर्फ की परत 122 मीटर तक पतली हो गई है व पश्चिमी अंटार्कटिक में तेजी से बदलाव हो रहा है। बदलाव के कारण बर्फ पिघलने से ज्यादातर ग्लेशियर का संतुलन बिगड़ रहा है।
ब्रिटेन के सेंटर फॉर पोलर ऑब्जर्वेशन एंड मॉडलिंग (सीपीओएम) ने यूरोपीय स्पेस एजेंसी के सेटेलाइट आंकलनों और क्षेत्रीय जलवायु के एक मॉडल के जरिए पूरे बर्फ आच्छादित क्षेत्र में हुए बदलावों पर गौर किया। शोधकर्ताओं ने बताया कि प्रभावित ग्लेशियर अस्थिर हो गए हैं, क्योंकि बर्फ तेजी से पिघल रही है। उन्होंने पाया कि ग्लेशियर के पतला होने का पैटर्न स्थिर नहीं है। साल 1992 से पश्चिमी अंटार्कटिक में बर्फ पिघलने वाले क्षेत्र का दायरा बढ़कर 24 फीसदी हो गया है। इस क्षेत्र में सर्वे शुरू होने के बाद से पांच गुना तेजी से बर्फ पिघल रही है।
सीपीओएम के निदेशक एंडी शेफर्ड ने कहा कि अंटार्कटिक के कुछ भागों में बर्फ की परत असामान्य तौर पर पतली हो गई है। शोधकर्ताओं का कहना है कि बर्फ की मोटी परत में बदलाव कम बर्फबारी और जलवायु में दीर्घकालीन बदलावों मसलन समुद्र का तापमान बढ़ने से आया है। सीपीओएम के निदेशक शेफर्ड ने बताया कि पूर्व से लेकर पश्चिम अंटार्कटिक में बर्फ पिघलने से 1992 से वैश्विक स्तर पर समुद्र का जलस्तर 4.6 मिलीमीटर बढ़ गया है।