Edited By ,Updated: 07 Jan, 2015 02:56 PM
श्रीलंका के राष्ट्रपति पद के कल 8 जनवरी को होने वाले चुनाव में प्रत्याशियों के बीच काटे की टक्कर है जिसे देखते हुए राजनयिक यह आकलन करने में जुट गए हैं
कोलम्बोः श्रीलंका के राष्ट्रपति पद के कल 8 जनवरी को होने वाले चुनाव में प्रत्याशियों के बीच काटे की टक्कर है जिसे देखते हुए राजनयिक यह आकलन करने में जुट गए हैं कि मतपत्रों के जरिए फैसला नहीं होने पर क्या विजयी प्रत्याशी के बारे में निर्णय के लिए 1981 के कानून का उपयोग कर लाटरी के जरिए फैसला किया जाएगा।
अभी कुछ समय पहले तक कोई नहीं कह सकता था कि इस प्रकार की अनिश्चिता की स्थिति देखने को मिलेगी। वर्तमान राष्ट्रपति महिन्दा राज पक्षे को भी जिन्होंने निर्धारित समय से 2 वर्ष पहले ही इस चुनाव को कराने का निर्णय किया था। इस प्रकार की स्थिति आ जाने का अनुमान नहीं था। महिन्दा राज पक्षे ने जब चुनाव का फैसला किया था तब वह अपनी जीत के प्रति आश्वस्त थे। अपनी लोकप्रियता में कमी के बावजूद उन्हें अपनी जीत का भरोसा था।
श्रीलंका में निवेश करने वालों को चिन्ता है वर्तमान स्थिति में किसी प्रत्याशी के जीत जाने के बाद भी राजनीतिक अस्थिरता बनी रह सकती है जिससे नीतिगत अनिश्चिता भी पैदा हो सकती है लेकिन जो पराजित होगा उसे भी संसदीय चुनावों में एक और अवसर अपनी शक्ति दिखाने के लिये मिल जाएगा। संसदीय चुनाव, राष्ट्रपति पद के चुनाव के कुछ महीने बाद कराए जाएंगे। संक्षेप में कह सकते हैं कि श्रीलंका की राजनीति में अनिश्चितता बनी रह सकती है।
इस चुनाव में टक्कर वर्तमान राष्ट्रपति महिन्दा राज पक्षे तथा उनके पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और एक समय के विश्वसनीय मिथरीपला सिरीसेना के बीच है। यूरोप तथा अमरीका मानवाधिकारों को लेकर राज पक्षे के रूख से नाराज है और उन्हें भरोसा है कि सिरीसेना की जीत से श्रीलंका के साथ उनके संबंधों में सुधार आ सकता है। उन्हें यह भी आशा है कि उनकी जीत से सिंहली बौद्धों तथा अल्पसंख्यक मुसलमानों के बीच तनाव कम हो सकता है।