'शिक्षा देना हैं हमारा काम, बंदूक उठाना नहीं'

Edited By ,Updated: 24 Jan, 2015 01:34 PM

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पाकिस्तान के अध्यापकों ने आतंकियों से बचने और उनका मुकाबला करने के लिए बंदूक देने की सरकारी योजना का विरोध किया है। एक सम्मेलन में अध्यापकों का कहा कि उनका काम शिक्षा देने का है न कि सुरक्षा का।

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के अध्यापकों ने आतंकियों से बचने और उनका मुकाबला करने के लिए बंदूक देने की सरकारी योजना का विरोध किया है। एक सम्मेलन में अध्यापकों का कहा कि उनका काम शिक्षा देने का है न कि सुरक्षा का।        

प्रांत के सूचना मंत्री मुश्ताक गनी ने कहा, "किसी स्कूल पर आतंकवादी हमले की स्थिति में बाहरी सहायता पहुंचने तक आतंकवादियों का सामना करने में अध्यापकों को सक्षम बनाने के विचार से यह प्रस्ताव दिया गया है।" उन्होंने कहा कि यह फैसला इसलिए लिया गया है कि सभी स्कूलों पर पुलिस की तैनाती नहीं की जा सकती है। 

गनी ने कहा कि आतंकवादी हमले रोकने की अन्य योजनाओं में स्कूलों की चारदीवारी को ऊंचा करना, उस पर कंटीले तार लगाना, सी.सी.टी.वी. कैमरा लगाना और गेट पर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाना भी शामिल है। 

अध्यापकों को हथियार देने की योजना का विपक्षी दलों और मीडिया ने भी आलोचना की है। शिक्षकों की शिकायत पर प्रांत के शिक्षा मंत्री आतिफ खान ने कहा कि उन्हें सुरक्षा गार्ड बनने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा, लेकिन वह चाहें तो हथियार ले सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की सरकार ने पिछले हफ्ते इस योजना की घोषणा की थी कि वह लाइसेंस देकर अध्यापकों को हथियार रखने की इजाजत देगी। वहीं इस मामले पर सरकार ने कहा है कि किसी शिक्षक को हथियार लेने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा। आपको बता दें कि पाक सरकार द्वारा यह कदम पेशावर के आर्मी स्कूल पर हुए आतंकी हमले के बाद उठाया गया है।

 

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