पाकिस्तान में पहली बार सिखों को मिला क़बायली मलिक का दर्जा

Edited By ,Updated: 14 Jul, 2015 10:46 AM

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पाकिस्तान के फ़ेडरली संघ प्रशासित जनजातीय क्षेत्रों (फ़ाटा) में रहने वाले अल्पसंख्यकों को पहली बार क़बायली मलिक का दर्जा मिला है।

इस्लामाबादः पाकिस्तान के फ़ेडरली संघ प्रशासित जनजातीय क्षेत्रों (फ़ाटा) में रहने वाले अल्पसंख्यकों को पहली बार क़बायली मलिक का दर्जा मिला है।

हाल ही में ख़ैबर एजैंसी इलाक़े के 4 ग़ैर-मुसलमानों को पेशावर के कमिश्नर ने क़बायली मलिक का दर्जा दिया है। इनमें2 सिख और 2 ईसाई ईसाई हैं। क़बायली मलिक का दर्जा पाने वाले ईसाई समुदाय के मलिक विल्सन वज़ीर ने बताया कि इस फ़ैसले से फ़ाटा में रहने वाले सभी अल्पसंख्यकों में खुशी की लहर दौड़ गई है। उन्होंने कहा कि फ़ाटा के अल्पसंख्यकों की बहुत पहले से यह मांग थी कि अन्य नागरिकों की तरह उन्हें भी क़बायली मलिक का दर्जा दिया जाए. जिसे सरकार ने स्वीकार कर ही लिया।

वहीं, विल्सन कहते हैं, "पहले हम एक मामूली से हस्ताक्षर या किसी फार्म की पुष्टि के लिए क़बायली मलिकों के पास जाकर उनकी मिन्नत करते थे। अब उन्हें अपने समुदाय के लिए पहचान पत्र और पासपोर्ट बनवाने में किसी प्रकार की कठिनाई का सामना नहीं करना होगा।"

गौरतलब है कि कबायली इलाक़ों में काफ़ी तादाद में अल्पसंख्यकों रहते हैं जिनमें सिख, हिंदू और ईसाई प्रमुख हैं। फ़ाटा और ख़ैबर पख़्तूनख़्वा में रहने वाले अल्पसंख्यकों में सबसे अधिक संख्या सिखों की बताई जाती है। दूसरे नंबर पर ईसाई समुदाय के लोग माने जाते हैं। लोग मानते हैं कि पाकिस्तान में सबसे ज़्यादा सिख पेशावर में रहते हैं। क़बायली मलिकों के पास पासपोर्ट और पहचान पत्र बनाने से जुड़े दस्तावेज़ों को प्रमाणित करने का अधिकार होता है।

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