ऐतिहासिक विरोधः ऑस्ट्रेलिया में सभी अखबारों का पहला पन्ना छापा गया काला

Edited By Tanuja,Updated: 21 Oct, 2019 05:32 PM

australian papers go black to protest against media restrictions

ऑस्ट्रेलिया में सोमवार सुबह जब देश के अखबार सामने आए तो उनका पहला पन्ना देख कर लोगों के मुहं खुले रह गए । एक अभूतपूर्व घटना में देश की सभी अखबारों का पहला पन्ना काला छापा ...

सिडनीः ऑस्ट्रेलिया में सोमवार सुबह जब देश के अखबार सामने आए तो उनका पहला पन्ना देख कर लोगों के मुहं खुले रह गए । एक अभूतपूर्व घटना में देश की सभी अखबारों का पहला पन्ना काला छापा गया। देश में इसे अपनी तरह का अलग व ऐतिहासिक विरोध माना जा रहा है। अखबारों ने देश में मीडिया पर लगाम लगाने की कोशिशों का विरोध करने के लिए ये कदम उठाया है। अखबारों का कहना है कि ऑस्ट्रेलिया सरकार का सख्त कानून उन्हें लोगों तक जानकारियां ला पाने से रोक रहा है। अखबारों ने पन्ने काले रखने का ये तरीका इस साल जून में ऑस्ट्रेलिया के एक बड़े मीडिया समूह ऑस्ट्रेलियन ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (एबीसी) के मुख्यालय और एक पत्रकार के घर पर छापे मारने की घटना को लेकर जारी विरोध के तहत उठाया।

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ये छापे व्हिसलब्लोअर्स से लीक हुई जानकारियों के आधार पर प्रकाशित किए गए कुछ लेखों के बाद मारे गए थे। अखबारों के इस अभियान-राइट टू नो कोएलिशन का कई टीवी, रेडियो और ऑनलाइन समूह भी समर्थन कर रहे हैं। ये अभियान चलाने वालों का कहना है कि पिछले दो दशकों में ऑस्ट्रेलिया में ऐसे सख्त सुरक्षा कानून लाए गए हैं जिससे खोजी पत्रकारिता को खतरा पहुंच रहा है। पिछले साल नए कानूनों लाए गए जिसके बाद मीडिया संगठन पत्रकारों और व्हिसलब्लोअर्स को संवेदनशील मामलों की रिपोर्टिंग में छूट दिए जाने के लिए अभियान चला रहे हैं। सोमवार को देश के सबसे बड़े अखबार और उसके प्रतियोगियों ने एकजुटता दिखाते हुए अपने मुख पृष्ठों पर लिखे सारे शब्दों को काली स्याही से पोत दिया और उन पर एक लाल मुहर लगा दिया जिस पर लिखा था- "सीक्रेट"।

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इन अखबारों का कहना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा कानूनों की वजह से रिपोर्टिंग पर अंकुश लगाया जा रहा है और देश में एक "गोपनीयता की संस्कृति" बन गई है। सरकार का कहना है कि वो प्रेस की आजादी का समर्थन करती है मगर "कानून से बड़ा कोई नहीं" है। जून में एबीसी के मुख्यालय और न्यूज कॉर्प ऑस्ट्रेलिया के एक पत्रकार के घर पर छापे मारे जाने के बाद काफी विरोध हुआ था। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने कहा कि प्रेस की आजादी महत्वपूर्ण है मगर कानून का राज कायम रहना चाहिए। उन्होंने कहा, "वो मुझ पर भी लागू होता है, या किसी पत्रकार पर भी, या किसी पर भी।" ऑस्ट्रेलिया में प्रेस की आजादी पर एक जाँच की रिपोर्ट अगले साल संसद में पेश की जाएगी।

 

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