Edited By Yaspal,Updated: 05 Apr, 2020 12:26 AM
पूरी दुनिया कोरोना वायरस महामारी का कहर झेल रही है। अब तक 11 लाख से ज्यादा लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं, जबकि 61 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि ये वायरस नया है। लिहाजा अभी इसकी कोई वैक्सीन नहीं बन पाई है और न...
इंटरनेशनल डेस्कः पूरी दुनिया कोरोना वायरस महामारी का कहर झेल रही है। अब तक 11 लाख से ज्यादा लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं, जबकि 61 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि ये वायरस नया है। लिहाजा अभी इसकी कोई वैक्सीन नहीं बन पाई है और न कोई खास इलाज है। दुनिया भर में इसके इलाज और वैक्सीन के लिए वैज्ञानिक रिसर्च में लगे हुए हैं और अब उम्मीद की एक किरण चमकती नजर आ रही है। दरअसल, ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिक इसकी काट ढूंढने के बहुत करीब पहुंच चुके हैं।
दवा के सिर्फ एक डोज से 48 घंटे में कोरोना खत्म!
ऑस्ट्रेलिया में वैज्ञानिकों ने लैब में कोरोना वायरस से संक्रमित कोशिका से महज 48 घंटे में ही वायरस को खत्म किया है और वह भी एक ऐसी दवा से जो पहले से ही मौजूद है। शोधकर्ताओं ने पाया कि दुनिया में पहले से ही मौजूद एक एंटी-पैरासाइट ड्रग यानी परजीवियों को मारने वाली दवा ने कोरोना वायरस को खत्म कर दिया। यह कोरोना वायरस के इलाज की दिशा में बड़ी कामयाबी है और इससे अब क्लिनिकल ट्रायल का रास्ता साफ हो सकता है।
परजीवियों को मारने वाली दवा का कमाल
एंटी-वायरल रिसर्च जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, इवरमेक्टिन नाम की दवा की सिर्फ एक डोज कोरोना वायरस समेत सभी वायरल आरएनए को 48 घंटे में खत्म कर सकती है। अगर संक्रमण ने कम प्रभावित किया है, तो वायरस 24 घंटे में ही खत्म हो सकता है। दरअसल आरएनए वायरस उन वायरसों को कहा जाता है, जिनके जेनेटिक मटीरियल में आरएनए यानी रिबो न्यूक्लिक एसिड होता है। इस स्टडी को ऑस्ट्रेलिया के मोनाश यूनिवर्सिटी की काइली वैगस्टाफ ने अन्य वैज्ञानिकों के साथ मिलकर लिखा है।
इस शोध में वैज्ञानिकों ने कहा है कि इवरनेक्टिन एक ऐसा एंटी-पैरासाइट ड्रग है, जो एचआईवी, डेंगू, इन्फ्लुएंजा और जीका वायरस जैसे तमाम वायरसों के खिलाफ कारगर है। हालांकि वैगस्टाफ ने साथ में यह चेतावनी भी दी है कि यह स्टडी लैब में की गई है और इसका लोगों पर परीक्षण करने की जरूरत होगी।
वागस्टाफ ने कहा, "आइवरमेक्टिन व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाती है और इसे एक सुरक्षित दवा माना जाता है। हमें अब यह पता लगाने की जरूरत है कि मनुष्यों में इस्तेमाल की जाने वाली इसकी मात्रा प्रभावी होगी या नहीं, यह अगला कदम होगा।'' उन्होंने कहा कि ऐसे समय, जब हम वैश्विक महामारी का सामना कर रहे हैं और इसका कोई मान्यताप्राप्त उपचार नहीं है, ऐसे में हमारे पास पहले से मौजूद यौगिक जल्द ही लोगों की मदद कर सकता है वैज्ञानिकों ने हालांकि कहा कि इस रोग का मुकाबला करने के लिए ‘इवरमेक्टिन' का उपयोग भविष्य के नैदानिक परीक्षणों के परिणामों पर निर्भर करेगा।