चीन में राष्ट्रपति शी जिनपिंग के राज में समलैंगिकों का जीना हुआ मुहाल

Edited By Tanuja,Updated: 06 Jul, 2022 06:15 PM

being gay in china has become harder in last decade report

चीन में पिछले एक दशक में समलैंगिकों का रहना कठिन हो गया है। खासकर 2012 में शी जिनपिंग के सत्ता में आने के बाद से उनके लिए चुनौतियां बढ़ गई...

 बीजिंग: चीन में पिछले एक दशक में समलैंगिकों का रहना कठिन हो गया है। खासकर 2012 में राष्ट्रपति शी जिनपिंग के सत्ता में आने के बाद से उनके लिए चुनौतियां बढ़ गई हैं। जिओपोलिटिका डॉट इंफो में डि वैलेरियो फैब्री ने  लिखा है कि शी द्वारा एक अधिक मुखर, आत्मनिर्भर चीन के लिए एक टोन सेट करने के बाद चीन में लैंगिक भेदभाव बढ़ गया और इसके परिणाम स्वरूप समलैंगिको का जीवन मुहाल हो गया औऱ भौतिक, आभासी और दार्शनिक स्थानों पर उनकी उपस्थिति घटती गई।


 दरअसल शी जिनपिंग के सत्ता में आने के बाद  समलैंगिकों के लिए  बैंकिंग सेवाओं या सार्वजनिक सभा स्थलों में जाने  या मीडिया कवरेज पर प्रतिबंध लगा लगा दिया गया लेकिन एलजीबीटीक्यू समुदाय की सेवा करने वाले समूहों सहित नागरिक समाज उनकी जगह को मजबूत करने के प्रयास कर  रहे हैं। इसके अलावा चीन  का मानना ​​है कि समलैंगिक, उभयलिंगी या ट्रांस होना एक विदेशी अवधारणा है । फैब्री ने कहा  एक अधिक मुखर व आत्मनिर्भर चीन में समलैंगिकों के अधिकार घटे हैं ।

 

एक पुरस्कार विजेता वृत्तचित्र   "विल यू लुक एट मी"   में हुआंग शुली और उनकी मां को शुली की समलैंगिकता के बारे में एक पीड़ादायक बातचीत में दिखाया गया है।हुआंग की माँ की नाराजगी उनके शब्दों से स्पष्ट होती है, "मैंने एक राक्षस को जन्म क्यों दिया?" और यह सीन फूल चुनने, जंगल में तैरने या अपने बगीचे की देखभाल करने जैसे दैनिक कामों में शामिल होने के दृश्यों के साथ जुड़ा हुआ है।

 

बता दें कि चीन में समलैंगिकता हमेशा से एक वर्जित विषय रहा है। यहां यौन अल्पसंख्यकों के अधिकार न के बराबर हैं। अनिर्दिष्ट उल्लंघनों के आधार पर विश्वविद्यालयों में कई एलजीबीटी समितियों के सोशल मीडिया खातों को पिछले साल बंद कर दिया गया था।

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