Edited By Tanuja,Updated: 27 Aug, 2018 01:48 PM
हौंसले बुलंद हो तो जीवन में कोई भी लक्ष्य हासिल करना मुश्किल नहीं होता फिर चाहे इसमें शारीरिक विकलांगता ही बाधा क्यों न हो । इस बात को साबित करने जा रहे हैं पैसिफिक सागर पार करने के लिए नाव लेकर निकले 56 साल के नेत्रहीन स्टीव स्पार्क्स...
सिडनीः हौंसले बुलंद हो तो जीवन में कोई भी लक्ष्य हासिल करना मुश्किल नहीं होता फिर चाहे इसमें शारीरिक विकलांगता ही बाधा क्यों न हो । इस बात को साबित करने जा रहे हैं पैसिफिक सागर पार करने के लिए नाव लेकर निकले 56 साल के नेत्रहीन स्टीव स्पार्क्स । अपना 90 फीसदी सफर पूरा कर चुके स्टीव ने 6 जून को कैलिफोर्निया से अपनी यात्रा शुरू की थी। उन्हें सागर को पूरा करने के लिए करीब 4000 किमी का सफर पूरा करना है। माना जा रहा है कि वह शुक्रवार तक फिनिश लाइन पूरी कर लेंगे। इस वक्त वह ओहियो में हैं।
स्टीव के सफर में खास बात यह है कि नेत्रहीन होते हुए भी वह इस रेस में जुटे हुए हैं। रेस में हिस्सा लेने वाली पांच टीमों में से दो टीम बीच मैदान में ही रेस छोड़ चुकी हैं जबकि अन्य दो टीमें रेस पूरी कर चुकी हैं। सफर पूरा होने पर बनेंगे सागर पार करने वाले पहले नेत्रहीन शख्स अगर स्टीव अपने इस सफर को पूरा कर लेंगे तो वह दुनिया के पहले ऐसे नेत्रहीन शख्स बन जाएंगे जिन्होंने पैसफिक सागर पार किया हो। इस सफर में वह मिक डासन के साथ हैं। स्टीव और मिक दोनों ही रॉयल मरीन के जवान रह चुके हैं। अपनी ड्यूटी के दौरान एक हादसे में स्टीव की आंखों की रोशनी चले गई थी।
इस 80 दिन के लंबे सफर के दौरान स्टीव और उनके साथी का सामना खतरनाक समुद्री जीवों और तूफान से हुआ है। उन्हें 16 फीट से भी ऊंची तूफानी लहरों के बीच अपनी नाव चलानी पड़ी। इसके अलावा उन्होंने 135 किमी प्रति घंटा की रफतार से चलने वाली हवाओं का भी सामना किया है। स्टीव को खुद पर पूरा भरोसा है कि वह इस रेस को पूरा कर लेंगे। उनका कहना है कि अपने सफर के दौरान उन्हें बेहद खराब मौसम का सामना करना पड़ा था। कई बार तो उनकी नाव डूबने से बची है। उनका कहना है कि 'एक सामान्य व्यक्ति ऊंची और खतरनाक लहरों को देख सकता है जिसके हिसाब से उसे नाव का संतुलन बनाने में आसानी होती है लेकिन मैं ऐसा कुछ भी नहीं कर सकता।'