इस्लाम विरोधी हैं ब्रिटेन के नए PM बोरिस ! दे चुके हैं ये 7 हंगामेदार विवादित बयान

Edited By Tanuja,Updated: 24 Jul, 2019 12:54 PM

boris johnson against islam claimed put muslim world  centuries behind

ब्रिटेन के वर्तमान विदेश मंत्री जेरेमी हंट को हरा कर पधानमंत्री पद तक पहुंचे बोरिस जॉनसन को ''ब्रिटेन का ट्रंप'' करार दिया जा रहा है...

लंदनः ब्रिटेन के वर्तमान विदेश मंत्री जेरेमी हंट को हरा कर पधानमंत्री पद तक पहुंचे बोरिस जॉनसन को 'ब्रिटेन का ट्रंप' करार दिया जा रहा है। यहां तक कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी उन्हें बधाई देते हुए कहा कि वे यूके में लोकप्रिय हैं क्योंकि लोग उन्हें वहां के ट्रंप के तौर पर देख रहे हैं। बोरिस जॉनसन अपने इस्लाम विरोधी नजरिए को लेकर भी विवादों में रहे हैं। बोरिस जॉनसन के पीएम बनने की घोषणा होते ही 36 साल से कंजरवेटिव पार्टी में रहे मोहम्मद आमीन ने विरोध के तौर पर अपना इस्तीफा दे दिया।

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बोरिस जॉनसन पर इस्लामोफोबिया का आरोप लगता रहा है। उन्होंने अतीत में कई ऐसे बयान दिए हैं जिन पर जमकर हंगामा हुआ। 2018 में अखबार 'द टेलीग्राफ' में लिखे एक कॉलम में उन्होंने लिखा था कि जो महिलाएं बुर्का पहनती हैं, वे किसी 'लेटरबॉक्स' या 'बैंक लुटेरों' की तरह लगती हैं। बुर्का बैन को लेकर जॉनसन ने कहा था कि यह बहुत ही हास्यास्पद है कि लोग लेटर बॉक्स की तरह दिखते हुए सड़कों पर घूमना पसंद करते हैं।

हाल ही में, उनका एक लेख 'द गार्जियन' ने छापा था जिसमें उन्होंने इस्लाम को मुस्लिम दुनिया के पीछे रहने की सबसे बड़ी वजह बताया था। बोरिस ने कहा था कि इस्लाम की वजह से मुस्लिम पश्चिमी देशों से सदियों के लिए पीछे छूट गए। जॉनसन ने एक लेख में दावा किया था कि दुनिया के कई हिस्सों में इस्लाम ने विकास का रास्ता अवरुद्ध कर दिया।उन्होंने कहा था, मुस्लिम दुनिया जितना पिछड़ती गई, उतनी ही ज्यादा कड़वाहट और संशय की भावना जन्म लेती गई। दुनिया भर में आप वैश्विक संघर्ष के जितने बिंदुओं के बारे में आप सोच सकते हैं- बोस्निया से फिलिस्तीन, इराक से लेकर कश्मीर तक, उसमें मुस्लिमों की भूमिका रही है।

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जॉनसन ने 2006 में रोमन साम्राज्य के बारे में लिखी किताब "The Dream of Rome" में लिखा था, इस्लाम के बारे में कुछ ऐसा जरूर होना चाहिए, जिससे यह समझने में मदद मिल सके कि मुस्लिम दुनिया में बुर्जुवा, नवउदारवाद और लोकतंत्र का प्रसार क्यों नहीं हो सका।जॉनसन का नजरिया था कि इस्लामिक दुनिया की तकनीकी और सांस्कृतिक प्रगति रोकने में इस्लाम धर्म की अहम भूमिका थी। जॉनसन ने लिखा था, रोमन/बैजेंटाइन साम्राज्य के शासन में कॉन्सटैंटनोपल शहर में ज्ञान की धारा हजारों सालों तक बहती रही जबकि ऑटोमन साम्राज्य में 19वीं सदी की शुरुआत तक इस्तांबुल में पहली प्रिटिंग प्रेस भी नहीं आ सकी। कोई तो ऐसी चीज थी जिसने उसे सदियों पीछे कर दिया।

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द गार्जियन के मुताबिक, 2007 में “And Then Came the Muslims” शीर्षक वाले एक लेख में जॉनसन ने विंस्टन चर्चिल की पंक्तियों को कोट किया था- दुनिया में इस्लाम से ज्यादा पीछे धकेलने वाली कोई ताकत नहीं है। बतौर जॉनसन, यह वक्त है कि हम गहराई में उतरें और चर्चिल से लेकर पोप तक के आरोपों की जांच करें।इस्लामिक दुनिया की असली समस्या इस्लाम ही है। हमें ईमानदार होना पड़ेगा और यह स्वीकार करना होगा कि चर्चिल के धर्म के सामाजिक और आर्थिक परिणाम के विश्लेषण में काफी सच्चाई है। बोरिस ने आगे कहा कि वह उम्मीद करते हैं कि उन्हें इस्लामोफोबिया का आरोपी करार नहीं दिया जाएगा क्योंकि उनके परदादा, तुर्किश पत्रकार और नेता अली केमाल भी एक मुस्लिम ही रहे हैं।
 

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