ब्रेक्जिट पर बुरी फंसीं थेरेसा मे, बोरिस जॉनसन ने PM पद पर ठोंका दावा

Edited By Tanuja,Updated: 18 May, 2019 02:26 PM

boris johnson wants to replace theresa may as prime minister

ब्रेक्जिट मुद्दे पर ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे बुरी तरह फंसती जा रही हैं। लंदन के पूर्व मेयर और प्रधानमंत्री थेरेसा मे...

लंदनः ब्रेक्जिट मुद्दे पर ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे बुरी तरह फंसती जा रही हैं। लंदन के पूर्व मेयर और प्रधानमंत्री थेरेसा मे के सबसे बड़े आलोचकों में से एक कंजरवेटिव पार्टी के नेता बोरिस जॉनसन ने प्रधानमंत्री पद पर अपना दावा ठोंक दिया है। उन्होंने ऐलान किया है कि ब्रिटेन की पीएम थेरेसा मे के पद छोड़ने के बाद वह देश में कंजरवेटिव पार्टी का नेतृत्व करेंगे। बता दें कि पीएम थेरेसा मे ब्रेक्जिट (यूरोपीय यूनियन से अलगाव ) की शर्तों से संबंधित विधेयक पर संसद में चर्चा होने के बाद इस्तीफा देने के लिये तैयार हो गई हैं।

वो जून महीने में अपने पद से इस्तीफा दे सकती हैं। मैनचेस्टर के एक बिजनेस समिट में बात करते हुए बोरिस जॉनसन ने कहा, 'निश्चित तौर पर मैं नेतृत्व करने के लिए जाना चाहूंगा'। जब उनसे भविष्य में कंजरवेटिव पार्टी के उम्मीदवार बनने को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा जो चुनाव लड़ेगा और जीतेगा वो खुद ब खुद देश का प्रधानमंत्री बन जाएगा। गौरतलब है कि ब्रिटेन इस समय दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़े राजनीतिक संकट से गुजर रहा है। कंजरवेटिव पार्टी के वरिष्ठ नेता ग्राहम ब्रैडी ने इस सियासी संकट को लेकर कहा, तीन बार ब्रेक्जिट के प्रस्ताव के संसद से अस्वीकार होने के बाद जून महीने में अंतिम बार इस प्रस्ताव को संसद में कानून बनाने वाली कमेटी के सामने लाने के बाद प्रधानमंत्री थेरेसा मे नए नेतृत्वकर्ता के चयण के लिए चुनाव प्रक्रिया के लिए टाइम टेबल बनाने को तैयार हैं।

लंदन के पूर्व मेयर जॉनसन कंजरवेटिव पार्टी का नेतृत्व अपने हाथों में लेना चाहते हैं. वह पीएम मे के ब्रेक्जिट नीति के कट्टर आलोचक रहे हैं. हालांकि उन्होंने इसके लिए जब तीसरी बार संसद में प्रस्ताव लाया गया था तो थेरेसा मे के समर्थन में वोट किया था। जॉनसन कंजरवेटिव पार्टी के जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं के बीच बेहद लोकप्रिय हैं लेकिन उन्हें पहले अपनी ही पार्टी के कानून बनाने वाले सांसदों का घोर विरोध झेलना पड़ा था। ब्रिटेन के यूरोपीय यूनियन से अलग होने को लेकर अभी असमंजस बना हुआ है। 4 अप्रैल को ब्रिटेन के हाउस ऑफ कॉमन्स में सिर्फ एक वोट के बहुमत से ब्रेक्जिट की समयसीमा को बढ़ाने के पक्ष में मतदान हुआ था जिसको लेकर प्रधानमंत्री थेरेसा मे की खूब आलोचना हुई थी।

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