ब्रिटेन ने  इस्राइल-फिलीस्तीन को लेकर किया अपना बचाव

Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 Oct, 2017 03:24 PM

britain foreign ministers big statement on israel and palestine

ब्रिटेन के विदेश मंत्री ने एक सदी पहले इस्राइल के गठन का रास्ता साफ करने में अपने पूवर्वर्ती की भूमिका का बचाव करते हुए कहा है कि अमन की खातिर इस्राइल और फिलीस्तीन का दो अलग-अलग संप्रभु देश बने रहना ही एक मात्र समाधान है...

लंदन:  ब्रिटेन के विदेश मंत्री ने एक सदी पहले इस्राइल के गठन का रास्ता साफ करने में अपने पूवर्वर्ती की भूमिका का बचाव करते हुए कहा है कि अमन की खातिर इस्राइल और फिलीस्तीन का दो अलग-अलग संप्रभु देश बने रहना ही एक मात्र समाधान है। इस बृहस्पतिवार को बालफोर घोषणापत्र को एक सदी पूरी हो गई। बालफोर घोषणापत्र वास्तव में 67 शब्दों का एक पत्र है जो ब्रिटेन के तत्कालीन विदेश मंत्री आर्थर बालफोर ने लिखा था।

इस पत्र के माध्यम से फलस्तीन में यहूदी लोगों के लिए राज्य के प्रति ब्रिटेन ने समर्थन जताया था। इस वर्षगांठ के अवसर पर इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू लंदन आएंगे। बहरहाल, यह वक्तव्य विवादित ही बना रहा और इसके बाद हुए सिलसिलेवार घटनाक्रम के चलते इस्राइल का गठन हुआ।लाखों फिलीस्तीनी विस्थापित हुए और दशकों तक दो समुदायों के बीच कलह रही जो आज भी जारी है। 

वर्तमान विदेश मंत्री बोरिस जॉनसन ने टेलीग्राफ अखबार के रविवार के संस्करण में लिखा कि मुझे गर्व है कि इस्राइल के गठन में ब्रिटेन की भागीदारी रही। उन्होंने यह भी लिखा कि यह दस्तावेज महान राष्ट्र के गठन के लिए अपरिहार्य था।साथ ही उन्होंने यह भी आगाह किया कि बालफोर घोषणापत्र के प्रमुख बिंदुओं में से एक का पूरी तरह कार्यान्वयन नहीं हुआ है और यह बिंदु है गैर यहूदी समुदायों के अधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए।उन्होंने कहा कि लंदन दो देश के समाधान को लेकर प्रतिबद्ध है। 

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