कैम्ब्रिज नगर परिषद ने सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया

Edited By Pardeep,Updated: 11 Feb, 2020 11:53 PM

cambridge city council passed resolution against caa and nrc

अमेरिका स्थित कैम्ब्रिज नगर परिषद ने भारतीय संसद से हाल में पारित संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) वापस लेने और प्रस्तावित राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) को खत्म करने की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया। उल्लेखनीय है कि हार्वर्ड विश्वविद्यालय और...

वाशिंगटनः अमेरिका स्थित कैम्ब्रिज नगर परिषद ने भारतीय संसद से हाल में पारित संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) वापस लेने और प्रस्तावित राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) को खत्म करने की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया। उल्लेखनीय है कि हार्वर्ड विश्वविद्यालय और मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) जैसे दुनिया के कुछ प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान इसका हिस्सा हैं।

वृहद बोस्टन का हिस्सा कैम्ब्रिज नगर परिषद ने एकमत से पारित प्रस्ताव में भारत से मांग की कि वह शरणार्थियों पर संयुक्त राष्ट्र की संधियों की अभिपुष्टि करते हुए शरणार्थियों की मदद के लिए कदम उठाए? भारत सरकार लगातार कहती रही है कि सीएए देश का आंतरिक मामला है और उसका लक्ष्य पड़ोसी देशों के प्रताड़ित अल्पसंख्यकों की रक्षा करना है। दो वर्ष की उम्र में पाकिस्तान के कराची से अमेरिका आई कैम्ब्रिज की महापौर संबुल सिद्दीकी ने सोमवार को नगर परिषद बैठक की अध्यक्षता की। नगर परिषद में यह उनका दूसरा कार्यकाल है और पहली बार वह माहौपर चुनी गई है।

सीएए और एनआरसी से जुड़े प्रस्ताव का पार्षद क्विंटन ज़ोनडेरवन, जीवन सोब्रिन्हो-व्हीलर और पैट्रिशिया नोलान के साथ सिद्दीकी सह प्रायोजक थी। प्रस्ताव में आरोप लगाया गया कि मोदी सरकार की नीतियां नस्लभेदी हैं। यह कैम्ब्रिज के मूल्यों के विपरीत है जो दक्षिण एशिया से आने वाले किसी भी जाति और धर्म के लोगों का स्वागत करता रहा है। प्रस्ताव में कहा गया कि राष्ट्रीय स्तर पर यह नीति अपनाने से लाखों लोगों की नागरिकता चली जाएगी और उन्हें फिर से नागरिकता देने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा।

कैम्ब्रिज नगर परिषद ने प्रस्ताव में कहा कि पिछले साल हाउडी मोदी कार्यक्रम दक्षिणपंथी राजनीतिज्ञों की एकजुटता का कार्यक्रम था। सितंबर में इस कार्यक्रम में मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 50,000 भारतीय अमेरिकियों को संबोधित किया था। भारतीय ससंद ने दिसंबर 2019 में सीएए पारित किया था जिसमें पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में उत्पीड़ित अल्पसख्ंयकों को नागरिकता देने का प्रावधान है।

 

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