Edited By Isha,Updated: 19 Jun, 2018 03:24 PM
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आव्रजन नीति की बढ़ती आलोचना के बीच संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटरेस ने कहा है कि बच्चों को उनके माता - पिता से अलग कर उन्हें प्रताडि़त नहीं करना चाहिए। इस नीति की
संयुक्त राष्ट्रः अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आव्रजन नीति की बढ़ती आलोचना के बीच संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटरेस ने कहा है कि बच्चों को उनके माता - पिता से अलग कर उन्हें प्रताडि़त नहीं करना चाहिए। इस नीति की वजह से सैकड़ों प्रवासी परिवारों के बच्चे अपने माता - पिता से अलग हो गए हैं। ट्रंप की कुछ भी बर्दाश्त नहीं करने की नीति में प्रावधान है कि अवैध रूप से दक्षिणी सीमा पार करने वाले वयस्कों पर मुकदमा चलाया जाएगा।
मई महीने की शुरुआत से बच्चों के माता - पिता के अलग होने की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। उस वक्त अटॉर्नी जनरल जेफ सेशंस ने ऐलान किया था कि मेक्सिको से लगी अमेरिकी सीमा को अवैध रूप से पार करने वाले सभी प्रवासियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा , भले ही वयस्क शरण क्यों न मांग रहे हों। चूंकि बच्चों को उन जगहों पर नहीं ले जाया जा सकता जहां उनके माता - पिता को रखा गया है , इसलिए उन्हें अलग कर दिया जा रहा है। गुटरेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कल एक बयान में कहा , ‘‘ सिद्धांत के तौर पर महासचिव का मानना है कि शरणाॢथयों और प्रवासियों से हमेशा आदर एवं गरिमा के साथ और मौजूदा अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार व्यवहार करना चाहिए। ’बयान के मुताबिक , ‘‘ बच्चों को उनके माता - पिता से अलग कर उन्हें प्रताडि़त नहीं करना चाहिए।
परिवार की एकता बनाकर रखनी चाहिए। महासचिव ने प्रवासी एवं शरणार्थी बच्चों के अधिकारों का बचाव किया , लेकिन अमेरिका का जिक्र नहीं किया। यह पूछे जाने पर कि क्या महासचिव अमेरिकी सीमा की सुरक्षा पर ट्रंप की जरा भी बर्दाश्त नहीं करने की नीति को लेकर ङ्क्षचतित हैं , इस पर दुजारिक ने कहा कि महासचिव देखना पसंद करेंगे कि सभी सीमाई लोगों से उनके अधिकारों के लिए गरिमा एवं आदर का व्यवहार किया जाए और शरण मांग रहे लोगों को उचित रूप से सुना जाए। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त जैद राद अल हुसैन ने भी ट्रंप की सीमा सुरक्षा नीतियों पर गहरी ङ्क्षचता जताई है। जिनीवा में मानवाधिकार परिषद के 38 वें सत्र के उद्घाटन सत्र में हुसैन ने कहा , ‘‘ पिछले छह हफ्ते में करीब दो हजार बच्चों को जबरन उनके माता - पिता से अलग किया गया है। ’’