Edited By Tanuja,Updated: 04 Apr, 2020 03:57 PM
कोरोना वायरस के कहर बीच एक बार फिर चीन में उइगर मुसलमानों का मुद्दा जोरशोर से उठा है। चीन में 10 लाख उइगर मुसलमानों को बंदी शिविरों में रखा गया है और वहां उन पर होने वाले अत्याचार को लेकर ...
बीजिंगः कोरोना वायरस के कहर बीच एक बार फिर चीन में उइगर मुसलमानों का मुद्दा जोरशोर से उठा है। चीन में 10 लाख उइगर मुसलमानों को बंदी शिविरों में रखा गया है और वहां उन पर होने वाले अत्याचार को लेकर अमेरिका शुरू से मुखर रहा है। वह पहले भी इस मुद्दे पर चीन को घेरने की कोशिश कर चुका है। लेकिन चीन सिरे से इन आरोपं को नकारता रहा है। एक बार फिर चीन ने उइगर मुसलामनों को लेकर झूठ बोला है।
भारी सबूतों के बावजूद चीनी सरकार ने 3 अप्रैल को झिंजियांग में उइगर मुस्लिमों के शिविर न होने का दावा किया है। जबकि अमेरिका का दावा है कि चीन ने 10 लाख उइगर मुसलमानों को शिविरों में कैद कर रखा है और उन पर अत्याचार कर रहा है। एक ट्वीट में, चीन सरकार के प्रवक्ता ने देश में किसी भी "धार्मिक कैदियों" की मौजूदगी से इंकार किया है जबकि चीनी सरकार उन पर गुलामों की तरह व्यवहार कर रही है। उनकी धार्मिक आजादी को तार-तार किया जा रहा है।
चीन के नए फरमान से तो उनकी धार्मिक आजादी खतरा उत्पन्न हो गया है। लेबर ब्यूरो ऑफ क्वापकाल की ओर से जारी किए आदेश में कहा गया है कि ऐसे लोगों को काम पर लगाया जाएगा जो अपने निहित स्वार्थ और विचार के कारण इस कार्य से दूर हैं। इतना ही नहीं इस कार्य के लिए एक निर्धारित कोटा तय किया गया है।