Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Feb, 2018 09:39 AM
पड़ोसी देशों के साथ उलझने की आदत से मजबूर चीन ने अब नया मुद्दे पर अड़ंगा लगान शुरू कर दिया है।अब माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई को लेकर नेपाल से असहमति जताते चीन ने विश्व की इस सबसे ऊंची चोटी की ऊंचाई के अपने आंकड़े पेश किए हैं
बीजिंगः पड़ोसी देशों के साथ उलझने की आदत से मजबूर चीन ने अब नया मुद्दे पर अड़ंगा लगान शुरू कर दिया है।अब माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई को लेकर नेपाल से असहमति जताते चीन ने विश्व की इस सबसे ऊंची चोटी की ऊंचाई के अपने आंकड़े पेश किए हैं और उन्हीं पर डटा हुआ है जो कि नेपाल की ऊंचाई से 4 मीटर कम है।
चीन की प्रतिक्रिया उन खबरों के बाद आई है जिसमें कहा गया था कि चीन पर्वत की ऊंचाई के बारे में नेपाल के आंकड़े से सहमत हो गया है जो कि करीब चार मीटर अधिक है। चीन के सरकारी मीडिया ने हाल में ‘द न्यूयार्क टाइम्स’ की खबर का खंडन किया कि चीन ने पर्वत की ऊंचाई 8848 मीटर मान ली है जो कि ‘नेपाल माउंटेनियरिंग एसोसिएशन’ के पूर्व प्रमुख आंग शेरिंग शेरपा के हवाले से है।
ग्लोबल टाइम्स ने बताया कि चीन ने माउंट कोमोलांगमा की ऊंचाई का आंकड़ा बदला नहीं है जो कि 8844.43 मीटर है. माउंट कोमोलांगमा माउंट एवरेस्ट का चीनी नाम है।माउंट एवरेस्ट की चोटी ने नेपाल और चीन के बीच सीमा विवाद सुलझाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। शुरू में चीन तिब्बत को नियंत्रण में लेने के बाद पूरे पर्वत को अपनी सीमा में बताता था।
हालांकि इसका समाधान 1961 में सत्तारूढ़ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक माओत्से तुंग के हस्तक्षेप पर हुआ. उन्होंने सुझाव दिया था कि सीमा रेखा माउंट एवरेस्ट के शिखर से गुजरनी चाहिए और इस पर नेपाल सहमत हो गया।