Edited By Tanuja,Updated: 14 Apr, 2021 04:12 PM
वैश्विक मंचों पर चीन के शिनजियांग क्षेत्र में उइगरों पर अत्याचारों के विरोध के बावजूद शी जिनपिंग के जुल्म लगातार बढ़ते जा रहे हैं। लेकिन चीन सरकार लगातार अपने बचाव में बयान बदल रही...
बीजिंग: वैश्विक मंचों पर चीन के शिनजियांग क्षेत्र में उइगरों पर अत्याचारों के विरोध के बावजूद शी जिनपिंग के जुल्म लगातार बढ़ते जा रहे हैं। लेकिन चीन सरकार लगातार अपने बचाव में बयान बदल रही है। चीन उइगरों के बड़े पैमाने पर नजरबंदी के बारे में झूठ बोल रहा है। संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठनों का अनुमान है कि कम से कम 10 लाख मुसलमानों को कन्संट्रेशन कैंप्स में रखा गया है। शिनजियांग में चल रहे डिटेंशन सेंटरों के बारे में चीन का कहना है कि यह सभी 'व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र' हैं ।
एक रिपोर्ट के मुताबिक डिटेंशन सेंटरों में रखे गए लोगों का आंकड़ा वयस्क मुस्लिम आबादी के 10 प्रतिशत के बराबर है। मानवाधिकारों के हननको लेकर बीजिंग पर अब पश्चिमी देशों का दबाव बढ़ता जा रहा है। लेकिन चीन आरोपों का खंडन करने और आलोचनाओं को अनसनुना करने के लिए पूरी ताकत का इस्तेमाल कर रहा है। इसी साल जनवरी में अमेरिका ने चीन पर नरसंहार का आरोप लगाया था जिसके बाद अन्य राजनयिक दबाव भी शुरू हो गए।
बीते साल चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इशारों -इशारों में कहा था कि शिंजियांग के पश्चिमी इलाके में रहने वाले सभी जातीय समूहों का लगातार विकास चल रहा है। उन्होंने यह भी कहा है कि सरकार इस इलाके के लोगों को सही शिक्षा देती रहेगी। शिंजियांग में यहां 80 लाख तक उइगर मुसलमानों को शिक्षित और सभ्य बनाने के नाम पर डिटेंशन कैंपों में अमानवीय तरीकों से रखने की खबर सामने आ चुकी हैं. चीन में मस्जिदों को तोड़कर टॉयलेट बनाने की भी कई खबरें सामने आ चुकी हैं।
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी शुरू के डेढ़ वर्षों तक इन कंसंट्रेशन कैंप्स को छिपाए हुई थी। हालांकि खबरों के सामने आने के बाद भी इसका रवैया नहीं बदला और चीन ने ऐसे किसी कैंप का अस्तित्व ही खारिज कर दिया। जब इन सैंटरों के खिलाफ सबूत आने लगे तो चीन ने अपना सुर एक बार फिर बदला। सबूतों के बाहर आने पर चीन ने ट्रेनिंग सेंटर बताया। उसने दावा किया कि वह पिछड़े उइगर लोगों को नौकरियां देने के लिए ट्रेनिंग दे रहा है। चीन के दावों यकीन भी करें तो अगर इन व्यावसायिक प्रशिक्षण स्कूलों में उइगर अगर कथित स्वेच्छा से हिस्सा लेते थे तो अत्याचार और दुर्व्यवहार को लेकर इतनी रिपोर्टें कैसे आईं?