फ्रांस-चीन संबंधों की आड़ में चीन का नया गेम प्लान, परमाणु टेक्नोलॉजी पाने के लिए घेराबंदी की शुरू

Edited By Tanuja,Updated: 01 Nov, 2020 04:22 PM

china lobbying to obtain french nuclear technology for  debt

दुनिया पर कब्जा जमाने की नीयत से चीन साम,दाम दंड भेद की नीति पर चल रहा है। इसके लिए ड्रैगन अपनी ताकत बढ़ाने में लगा हुआ और अरबों डॉलर ...

 

बीजिंगः दुनिया पर कब्जा जमाने की नीयत से चीन साम,दाम दंड भेद की नीति पर चल रहा है। इसके लिए ड्रैगन अपनी ताकत बढ़ाने में लगा हुआ और अरबों डॉलर की परमाणु टेक्नोलॉजी पाने के लिए प्रयासों में लामबंदी और अंदरखाने बातचीत तेज कर दी है। इस तकनीक को चीन अपने कर्ज जाल में फंसाने की नीति में नए उपकरण के रूप में इस्तेमाल कर सकता है। यह खुलासा अमेरिका के समाचार संगठन द क्लैक्सन ने अपनी एक रिपोर्ट में किया है। फ्रांस-चीन के द्विपक्षीण संबंधों को सुधारने की आड़ में चीन की सरकार ने हाल ही में महत्वपूर्ण फ्रांसीसी राजनेताओं को निशाना बनाते हुए अभियान को तेज कर दिया है, जो कि परमाणु टेक्नोलॉजी पाने के लिए चीन की जल्दबाजी को दर्शाता है।

 

खुफिया सूत्रों को डर है कि बीजिंग इसे अपने वैश्विक प्रभाव का विस्तार करने और वैश्विक सुरक्षा को कमजोर करने के लिए इस्तेमाल करेगा। वरिष्ठ खुफिया सूत्रों ने कहा कि चीन ने भविष्य में इमैनुएल मैक्रों की आगामी यात्रा को सुनिश्चित करने के लिए कड़ी घेराबंदी कर रहा है। निकट भविष्य में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन की चीन यात्रा की व्यवस्था करने के लिए बीजिंग में “राजनैतिक कूटनीति और अंदरखाने बातचीत में काफी जल्दबाजी दिखाई गई । बीजिंग चीन और फ्रांस सरकार द्वारा नियंत्रित परमाणु ऊर्जा दिग्गज ओरानो के बीच 10 अरब यूरो के परमाणु सौदे को फिर से शुरू करना चाहता है, जिसे 2018 के अंत में गंभीर सुरक्षा कारणों के चलते फ्रांस की राष्ट्रीट सुरक्षा एजेंसी, रक्षा और रष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सचिवालय जनरल (SGDSN) ने रोक दिया था।

 

वरिष्ठ खुफिया सूत्र ने कहा कि चीनी सरकार फ्रांस के हाल के प्रधानमंत्रियों के बदलाव का फायदा उठाना चाह रही थी। मालूम हो कि 3 जुलाई को एडोर्ड फिलिप की जगह जीन कास्टेक्स को फ्रांस का प्रधानमंत्री बनाया गया था। चीन का राष्ट्रीय परमाणु निगम जो कि चीन के सैन्य और असैन्य परमाणु कार्यक्रमों की देखरेख करता है, पिछले दशक से ज्यादा समय से सक्रिय रूप से फ्रांसीसी तकनीक की मांग कर रहा है। दरअसल जून 2018 में जब फ्रांस के तत्कालीन प्रधानमंत्री एडोर्ड फिलिप ने चीन की यात्रा की उस दौरान चीन महत्वाकांक्षाएं काफी प्रबल थीं।

 

अपनी यात्रा के दौरान फिलिप ओरानो और चीन के राष्ट्रीय परमाणु निगम के बीच एक प्रारंभिक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, हालांकि, यह सौदा केवल “शुरुआती कार्य” के लिए था, जो कि 2018 के अंत में खत्म हो गया था। द क्लैक्सन सूत्र ने बताया कि फ्रांसीसी नेतृत्व में परिवर्तन के साथ, चीन वर्तमान में मैक्रों की चीन यात्रा की व्यवस्था करने के लिए कड़ी पैरवी कर रहा है, ताकि परमाणु परियोजना की बहाली पर बातचीत दोबारा से शुरू हो सके।

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