Edited By Ashish panwar,Updated: 17 Jan, 2020 11:19 PM
चीन, पाकिस्तान के जिस ग्वादर बंदरगाह को विकसित कर रहा है, वह भारत के लिए चिंता का सबब बन सकता है। लेकिन भारत इसकी काट निकालने के लिए, 170 किलोमीटर दूर ईरान में नया बंदरगाह विकसित करने का काम शुरू कर चुका है। भारत के इस कदम को ग्वादर पर चीन के कदम का...
इंटरनेशनल डेस्कः चीन, पाकिस्तान के जिस ग्वादर बंदरगाह को विकसित कर रहा है, वह भारत के लिए चिंता का सबब बन सकता है। लेकिन भारत इसकी काट निकालने के लिए, 170 किलोमीटर दूर ईरान में नया बंदरगाह विकसित करने का काम शुरू कर चुका है। भारत के इस कदम को ग्वादर पर चीन के कदम का काउंटर माना जा रहा है। गौरतलब है कि, पाकिस्तान ने चीन को 40 साल के लिए यह पोर्ट किराए पर दे दिया है। एक बात ये भी है कि भारत की थोड़ी सी राजनीतिक चूक से ग्वादर भारत के पास से निकल गया और पाकिस्तान के हिस्से में चला गया।
चीन, पाकिस्तान के जिस बंदरगाह को विकसित कर रहा है वह कभी ओमान का हिस्सा हुआ करता था। कहा जाता है कि भारत ने इस पोर्ट को ओमान से खरीदने में दिलचस्पी नहीं दिखाई जिसके चलते यह पाकिस्तान के पास चला गया। ग्वादर जिस इलाके में स्थित है उसे मकरान कहा जाता है। इतिहास में इस इलाके का जिक्र है। 325 ईसा पूर्व में जब सिकंदर भारत से वापस यूनान जा रहा था तब रास्ते में वह ग्वादर पहुंचा। सिकंदर ने सेल्युकस को यहां का राजा बना दिया। 303 ईसा पूर्व तक यह इलाका सेल्युकस के कब्जे में रहा। 303 ईसा पूर्व में चंद्रगुप्त मौर्य ने हमला कर इस इलाके को अपने कब्जे में ले लिया। 100 साल तक मौर्य वंश के पास रहने के बाद 202 ईसा पूर्व में ग्वादर पर ईरानी शासकों का कब्जा हो गया। 711 में मोहम्मद बिन कासिम ने हमला कर इस इलाके को अपने कब्जे में ले लिया इसके बाद यहां बलोच कबीले के लोगों का शासन चलने लगा। 15वीं सदी में पुर्तगालियों ने वास्कोडिगामा के नेतृत्व में यहां हमला किया। मीर इस्माइल बलोच की सेना से पुर्तगाली जीत नहीं सका। लेकिन पुर्तगालियों ने ग्वादर में आग लगा दी। 16वीं सदी में अकबर ने ग्वादर को जीत लिया। 18वीं सदी तक यहां मुगल राजाओं का राज चलता रहा। यहां कलात वंश के लोग मुगलों के नीचे शासन करने लगे।
भारत में जब भी चीन और पाकिस्तान की एक साथ बात होती है तो ग्वादर पोर्ट का जिक्र जरूर होता है। चीन पाकिस्तान के इस बंदरगाह को आर्थिक गलियारे की अपनी नीति के तहत विकसित कर रहा है। विदेश नीति के जानकार कहते हैं कि भारत को घेरने की चीनी नीति में ग्वादर का अहम रोल है। ग्वादर पोर्ट की भौगोलिक स्थिति भारत को घेरने के लिए एकदम मुफीद है लेकिन भारत वहां से 170 किलोमीटर दूर ईरान में चाबहार बंदरगाह को विकसित कर रहा है। भारत के इस कदम को ग्वादर पर चीन के कदम का काउंटर माना जाता है लेकिन ग्वादर 1958 तक पाकिस्तान का हिस्सा नहीं था। कहा जाता है कि भारत की थोड़ी सी रणनीतिक चूक से ग्वादर पाकिस्तान का हिस्सा बन गया।