Edited By Tanuja,Updated: 11 Feb, 2021 02:36 PM
कोरोना वैक्मसीन को लेकर पाकिस्तान से रिजेक्शन के बाद चीन नेपाल सरकार पर सायनोवैक वैक्सीन को खरीदने के लिए दबाव बना रहा है। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, यह दबाव तब से बनाया जा रहा था...
इंटरनेशनल डेस्कः कोरोना वैक्मसीन को लेकर पाकिस्तान से रिजेक्शन के बाद चीन नेपाल सरकार पर सायनोवैक वैक्सीन को खरीदने के लिए दबाव बना रहा है। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, यह दबाव तब से बनाया जा रहा था जब चीन की वैक्सीन्स का एफिशिएन्सी डेटा भी मौजूद नहीं था और न ही इनकी पुष्टि हुई थी। यह जानकारी नेपाल के मीडिया ने कुछ डॉक्यूमेंट्स के हवाले से दी।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चीन की सायनोफार्म कंपनी सायनोवैक कोविड-19 वैक्सीन बना रही है लेकिन शुरू से ही इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठते रहे हैं। शुक्रवार को चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप जवाली को फोन चीन की वैक्सीन को मंजूरी देने का दबाव बनाया। खास बात ये है कि वांग यी ने पहले मंजूरी मांगी और साथ ही ये भी कहा कि वैक्सीन की डीटेल्स बाद में दी जाएंगी।
इससे पहले भी नेपाल में चीन की एम्बेसी पर देश की राजनीति में दखलंदाजी के आरोप लगते रहे हैं। अब वैक्सीन के मामले में तो इसी एम्बेसी के दस्तावेज लीक हो गए हैं। एक डॉक्यूमेंट में तो नेपाल सरकार को धमकी दी गई है कि अगर उसने वैक्सीन को मंजूरी देने में देरी की तो फिर नेपाल को इसके लिए लंबा इंतजार करना होगा। 31 जनवरी को चीनी दूतावास ने कहा था कि वो नेपाल को सायनोवैक वैक्सीन के 3 लाख डोज मुहैया कराएगी। भारत और ब्रिटेन नेपाल को 2-2 लाख वैक्सीन पहले ही भेज चुके हैं। ब्राजील में सायनोवैक वैक्सीन की एफिशिएन्सी सिर्फ 50.4% आंकी गई थी। इसके बाद वहां इसके ट्रायल ही बंद कर दिए गए थे।
रिपोर्ट के मुताबिक, नेपाल सरकार ने लीक हुए दस्तावेजों की पुष्टि करते हुए इन्हें सही बताया है। दूसरी तरफ, चीन की एम्बेसी ने इस मामले में कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। नेपाल ही नहीं पाकिस्तान समेत दुनिया के कई देशों में चीन की वैक्सीन्स पर सवालिया निशान लग रहे हैं। यह मामला इसलिए भी उलझ रहा है क्योंकि नेपाल सरकार ने पिछले हफ्ते गुरुवार को चीन सरकार को एक लेटर के जरिए बताया था कि कोई भी चीनी वैक्सीन कंपनी जरूरी डॉक्यूमेंट्स और डेटा नहीं दे रही है।