Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Mar, 2018 05:40 PM
चीन पर बढ़ती निर्भरता और ऋण को देखते हुए श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने आज कहा कि उन्हें भारत और जापान से विदेशी निवेश चाहिए। मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि विक्रमसिंघे ने बीते साल चीन के साथ हुए उस समझौते का भी बचाव किया...
चीन: चीन पर बढ़ती निर्भरता और ऋण को देखते हुए श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने आज कहा कि उन्हें भारत और जापान से विदेशी निवेश चाहिए। मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि विक्रमसिंघे ने बीते साल चीन के साथ हुए उस समझौते का भी बचाव किया जिसके तहत श्री लंका ने रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण हंबनटोटा बंदरगाह पेइचिंग को 99 साल के पट्टे पर दे दिया था।
शुरू में आएंगे भारत और जापान से निवेशक
इंटरव्यू में विक्रमसिंघे ने कहा कि हंबनटोटा का बोझ हम पर है क्योंकि चीन की मर्चेंट कंपनियां और श्रीलंका पोर्ट अथॉरिटी का इस पर निंयत्रण है। श्रीलंका के पीएम ने कहा, 'हम बड़े स्तर पर विदेशी निवेशकों को आमंत्रित कर रहे हैं। शुरू में चीन, भारत और जापान से निवेशक आएंगे और फिर अन्य भी आएंगे। हम यूरोपीय देशों को भी यह निवेश करते देखना चाहते हैं। सोमवार को व्यापारिक सम्मेलन के दौरान विक्रमसिंघे ने कहा कि हंबनटोटा हम पर बोझ है, क्योंकि चीनी मर्चेंट और श्रीलंका बंदरगाह प्राधिकरण ने इसे अपने ऊपर ले लिया है।