वुहान लैब की 'बैट वूमैन' की चेतावनी- "कोरोना वायरस तो सिर्फ ट्रेलर, असली पिक्चर अभी बाकी"

Edited By Tanuja,Updated: 26 May, 2020 06:04 PM

china s  bat woman  warns coronavirus is just tip of the ice

चीन के वुहान से फैले कोरोना वायरस के कारण दुनिया में अब तक करीब 56 लाख लोग संक्रमणका शिकार हो चुके हैं जबकि करीब साढ़े ...

बीजिंगः चीन के वुहान से फैले कोरोना वायरस के कारण दुनिया में अब तक करीब 56 लाख लोग संक्रमणका शिकार हो चुके हैं जबकि करीब साढ़े तीन लाख लोगों की मौत हो चुकी है। लेकिन चीन में चमगादड़ों पर शोध के लिए मशहूर वुहान लैब की महिला वायरोलॉजिस्ट का कहना है कि कोरोना वायरस तो महज ट्रेलर है, असली पिक्चर ऐसी होगी कि दुनिया लंबे समय तक उसका कहर ढेलना पड़ेगा । उनका कहना है कि चमगादड़ों में कोरोना जैसे कई खतरनाक वायरस मौजूद हैं।

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चीन की ‘बैट वूमैन’ ने नाम से मशहूर वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की डिप्टी डायरेक्टर शी झेंगली ने कहा कि चमगादड़ जैसे जंगली जानवरों में कोरोना जैसे कई ज्यादा खतरनाक वायरस मौजूद हैं और अगर समय रहते उनका पता नहीं लगाया गया तो आने वाले दिनों में दुनिया को इस तरह की और महामारी का सामना करना पड़ सकता है। वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी वही लैब है जहां से कोरोना के फैलने की बात कही जा रही है। झेंगली ने कहा कि वायरसों के बारे में हो रहे शोध के बारे में सरकारों और वैज्ञानिकों को पारदर्शी रुख अपनाने की जरूरत है। चीन पर कोरोना के बारे में समय रहते दुनिया को सही जानकारी नहीं देने के आरोप लग रहे हैं।

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लेकिन झेंगली उन्होंने कहा कि विज्ञान का राजनीतिकरण खेदजनक है। उन्होंने चीन के सरकारी चैनल सीसीटीएन से बातचीत दौरान कहा कि अगर हमें मानवता को अगली महामारी से बचाना है तो हमें जंगली जानवरों में पाए जाने वाले अंजान वायरसों पर शोध करना चाहिए और उनके बारे में अग्रिम चेतावनी देनी चाहिए। अगर हम उनके बारे में नहीं जानेंगे तो इससे भी बड़ी महामारी फैल सकती है। उन्होंने कहा कि कोरोना से निपटने के लिए पूरी दुनिया को मिलकर काम करने की जरूरत है।

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कोरोना को लेकर चीन पर अमेरिका के आरोपों को झेंगली ने खारिज करते हुए कहा कि जिन वायरसों पर वह काम करती हैं उनका जेनेटिक्स कोरोना वायरस से नहीं मेल नहीं खाते हैं। झेंगली ने 2004 में वायरसों पर शोध शुरू किया था जब सार्स ने कहर ढाया था। तब से वह सभी तरह के चमगादड़ों का अध्ययन किया है। 2013 में उन्हें उस समय सफलता मिली जब उन्हें पता चला कि चमगादड़ का मल 96.2 फीसदी सार्स सीओवी-2 की तरह होता है। 2015 में उन्होंने अपने शोध में पाया था कि सार्स जैसे वायरस चमगादड़ से इंसान में आ सकता है।

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