चीन की ‘बेल्ट एंड रोड' योजना से पेरिस समझौते के लक्ष्यों को खतरा : रिपोर्ट

Edited By Tanuja,Updated: 02 Sep, 2019 09:37 AM

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चीन की ‘बेल्ट एंड रोड'' (BRI) योजना के तहत विभिन्न देशों में चल रहे विकास कार्य और कार्बन उत्सर्जन की वजह से पेरिस जलवायु समझौते...

इंटरनेशनल डेस्कः चीन की ‘बेल्ट एंड रोड' (BRI) योजना के तहत विभिन्न देशों में चल रहे विकास कार्य और कार्बन उत्सर्जन की वजह से पेरिस जलवायु समझौते के तहत तय किए गए लक्ष्यों को हासिल करना मुश्किल हो सकता है। यह आंकलन एक वैश्विक रिपोर्ट में किया गया है। विशाल वैश्विक आधारभूत संरचना योजना पर सोमवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया कि BRI के तहत एशिया, अफ्रीका, मध्य पूर्व और यूरोप में बंदरगाहों, रेलवे, सड़क और औद्योगिक पार्क का नेटवर्क बिछाने के लिए 126 देशों में खरबों डॉलर का निवेश होगा।

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इन परियोजनाओं के लिए चीन पर्याप्त धन मुहैया करा रहा है। इसके अलावा निजी क्षेत्र भी इसमें निवेश कर रहे हैं जबकि विरोधियों ने इसके पर्यावारण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की चेतावनी दी है। रिपोर्ट के मुताबिक केवल BRI योजना के कारण होने वाला कार्बन उत्सर्जन ही पेरिस जलवायु लक्ष्य को पटरी से उतार सकता है। वर्ष 2015 में हुए पेरिस जलवायु समझौते में सभी देशों ने मिलकर औद्योगीकरण से पहले के तापमान के मुकाबले वैश्विक तापमान में वृद्धि को दो डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने का लक्ष्य तय किया है।

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शिन्हुआ सेंटर फॉर फायनेंस एंड डेवलपमेंट ने कहा कि चीन को छोड़कर BRI योजना में शामिल 126 देशों की, मानव जनित कार्बन उत्सर्जन में 28 फीसद की हिस्सेदारी है। इस योजना के तहत विभिन्न तरीकों से 17 देशों में बड़े बंदरगाहों, पाइपलाइन, रेलवे लाइन और राजमार्गों का विकास किया जा रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस, ईरान, सऊदी अरब और इंडोनेशिया जैसे देशों को वैश्विक तापमान वृद्धि दो डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिए अपने कार्बन उत्सर्जन में मौजूदा स्तर से 2050 तक 68 फीसद की कमी लानी होगी।

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शिन्हुआ सेंटर के फेलो सिमॉन जेडक ने कहा, ‘‘BRI इतना गतिशील और विशाल है कि अगर उत्सर्जन गलत दिशा में गया तो अकेले जलवायु परिवर्तन के लक्ष्य को पटरी से उतार देगा।'' रिपोर्ट के अनुसार, बीआरआई में हरित तकनीकों का इस्तेमाल किया जाए तो 39 फीसद तक उत्सर्जन कम किया जा सकता है। गौरतलब है कि चीन विश्व का सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक है और दुनिया में मानव जनित कार्बन उत्सर्जन में 30 फीसद योगदान उसी का रहता है।

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