Edited By Tanuja,Updated: 23 Jan, 2021 11:47 AM
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान दोस्त चीन की खातिर अपने देश को मुसीबत में डालने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं। इस दोस्ती का पहला खामियाजा ...
पेशावर: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान दोस्त चीन की खातिर अपने देश को मुसीबत में डालने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं। इस दोस्ती का पहला खामियाजा पाकिस्तान को बिजली क्षेत्र में भुगतना पड़ रहा है। चीन ने पाकिस्तान में बिजली की मांग और वितरण व्यवस्था पर ध्यान दिए बगैर विद्युत परियोजनाओं के विकास के लिए अरबों रुपए का निवेश कर दिया। ये परियोजनाएं पूरी होने से पहले हीचीनी कंपनियां जमकर मुनाफा वसूल रही हैं। हालाता इतने बिगड़ चुके हैं कि कंगाल पाकिस्तान को कर्ज वापसी के दबाव के साथ ब्लैक आउट जैसे संकटों का सामना भी करना पड़ रहा है।
एशिया टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार कुछ दिन पहले ब्लैकआउट का सामना कर चुके पाकिस्तान पॉवर सेक्टर को बार-बार ऐसे गंभीर संकटों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि पाक सरकार इस ब्लैकआउट के लिए चीनी कंपनियों को जिम्मेदार ठहराने से बच रही है लेकिन असल में चीन की योजनाएं पाक की पॉवर व्यवस्था पर बुरा असर डाल रही हैं । हाल ही में विद्युत मूल्य में 1.95 रुपये प्रति यूनिट की बढ़ोतरी इसी संकट से निपटने के लिए की गई है। इस वृद्धि पर पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज की नेता मरयम नवाज ने इमरान सरकार को घेरा है। कहा है कि यह सरकार जनता के वोटों से जीती नहीं है इसलिए उसे लोगों के दुख-दर्द से मतलब नहीं है। इसीलिए महंगाई से जूझ रही आम जनता पर महंगी बिजली का बोझ बढ़ा दिया गया है।
एशिया टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक हाल ही में पाकिस्तान सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज कमीशन के पूर्व चेयरमैन मुहम्मद अली की अध्यक्षता वाली 9 सदस्यीय कमेटी ने देश की विद्युत व्यवस्था पर रिपोर्ट में बताया है कि चीन की कंपनियों ने विद्युत उत्पादन व्यवस्था पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया है और वे 50 से 70 फीसद के बड़े मुनाफे पर काम कर रही हैं। इसके चलते पाकिस्तान का विद्युत क्षेत्र पूरी तरह से चीन का बंधक बन गया है। हुआनेंग शानडोंग रुई एनर्जी नाम की चीन की कंपनी ने पंजाब में कोयले पर आधारित 1,320 मेगावाट की साहीवाल परियोजना स्थापित की है। इस कंपनी ने तीन साल के भीतर अपनी निवेशित लगभग सारी रकम सरकार से ले ली जबकि परियोजना शुरू से ही घाटे में है।
चीन ने पाकिस्तान के विद्युत क्षेत्र के लिए 30 अरब डॉलर (2.20 लाख करोड़ भारतीय रुपए) का निवेश निर्धारित किया है। यह धन चाइना-पाकिस्तान इकोनोमिक कॉरीडोर परियोजना के तहत खर्च किया जाना है। इसके तहत पाकिस्तान में 27 विद्युत परियोजनाएं स्थापित की जानी हैं जिनकी कुल क्षमता 12,000 मेगावाट होगी। इन 27 विद्युत परियोजनाओं में 14 कोयले पर आधारित, छह हवा से चलने वाली और छह पनबिजली परियोजनाएं होंगी। इनमें से 16 परियोजनाएं सिंध की, चार पंजाब की, दो बलूचिस्तान और एक खैबर पख्तूनवा प्रांत की है। इनके अतिरिक्त चीन पाकिस्तान के कब्जे वाले गुलाम कश्मीर में दो विद्युत परियोजनाएं और गिलगित-बाल्टिस्तान इलाके में दो परियोजनाएं पर कार्य कर रहा है।