श्रीलंका को मानवीय सहायता देने के लिए तैयार चीन, कर्ज को लेकर साधी चुप्पी

Edited By Tanuja,Updated: 21 Apr, 2022 01:18 PM

china will provide humanitarian aid to sri lanka but silent on debt

चीन ने  संकट ग्रस्त श्रीलंका द्वारा मदद की गुहार पर प्रतिक्रिया पर हफ्तों   टालमटोल के बाद  कहा है कि वह कोलंबो को ‘आपातकालीन मानवीय सहायता''...

बीजिंग: चीन ने  संकट ग्रस्त श्रीलंका द्वारा मदद की गुहार पर प्रतिक्रिया पर हफ्तों   टालमटोल के बाद  कहा है कि वह कोलंबो को ‘आपातकालीन मानवीय सहायता' मुहैया कराएगा। हालांकि श्रीलंका द्वारा कर्ज के पुनर्निर्धारण के आग्रह पर चीन ने चुप्पी साध रखी है। श्रीलंका में चीनी निवेश और चीन से मिले बड़े कर्ज के आधार पर कर्ज कूटनीति के आरोप लगाये जा रहे हैं। चाइना इंटरनेशनल डेवलपमेंट कोऑपरेशन एजेंसी के प्रवक्ता शू वेई ने कहा कि चीन की सरकार ने श्रीलंका को मौजूदा संकट से निपटने में मदद के लिए आपतकालीन मानवीय सहयोग मुहैया कराने का फैसला किया है।

 

बुधवार को चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने भी मीडिया से बातचीत में कहा कि चीन ने श्रीलंका को आपात मानवीय सहयोग देने का ऐलान किया है। जहां चीन ने टालमटोल की, वहीं भारत ने पिछले तीन महीनों में श्रीलंका को लगभग 2.5 अरब अमरीकी डालर की सहायता प्रदान की है, जिसमें ईंधन और भोजन के लिए ऋण सुविधाएं शामिल है। इसके अलावा भारत कथित तौर पर संकटग्रस्त द्वीप राष्ट्र को अरब अमेरिकी डालर की और सहायता देने पर विचार कर रहा है। दूसरी ओर चीनी प्रवक्ता शू और वांग ने चीन की मानवीय सहायता के बारे में कोई विवरण नहीं दिया है।

 

इससे पहले की रिपोर्टों में कहा गया था कि चीन ने वर्ष 1952 में हस्ताक्षरित रबर-चावल समझौते का हवाला देते हुए श्रीलंका को चावल भेजने की पेशकश की थी, जिसके तहत कोलंबो से चीन रबर का आयात करता। कोलंबो में चीनी राजदूत क्यूई जेनहोंग की पिछले महीने की घोषणा पर चीन अब भी चुप है। जेनहोंग ने कहा था कि चीन श्रीलंका को 2.5 अरब अमेरिकी डॉलर की कर्ज सुविधा पर विचार कर रहा है। श्रीलंका पर चीनी कर्ज उसके कुल बाहरी ऋण का लगभग 10 प्रतिशत है, जिसमें हंबनटोटा बंदरगाह जैसी विशाल आधारभूत परियोजनाएं शामिल हैं। इस बंदरगाह को चीन ने 99 साल के पट्टे पर प्राप्त किया है।

 

खैरात (बेलआउट) प्रदान करने पर चीन की दुविधा पर टिप्पणी करते हुए सिंगापुर के राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ साथी गणेशन विग्नाराजा ने कहा कि चीन पैसा खोना नहीं चाहता। उन्होंने कहा कि अगर चीन श्रीलंका को एक विशेष मदद देता है, तो बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव में शामिल अन्य देश जो समान कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं, उसी प्रकार की सहायता की मांग करेंगे। विग्नाराजा ने कहा कि अगर चीन एक बैंक की तरह व्यवहार करता है, तो यह ऋण की समस्या को कर्ज के जाल से भी बदतर बना देगा और यह वास्तव में एक चीनी समस्या बन जाएगा।

 

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