PM मॉरिसन का बड़ा बयान-आस्‍ट्रेलिया-न्‍यूजीलैंड के बीच फूट डालने की कोशिश में जुटा चीन

Edited By Tanuja,Updated: 01 Jun, 2021 11:27 AM

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चीन अपनी आक्रामक नीतियों के चलते दुनिया के लिए मुसीबत बना हुआ है। अपने खेमे में देशों की संख्‍या बढ़ाने के लिए हर तरह की कोशिश करने में जुटा चीन अब आस्‍ट्रेलिया और न्‍यूजीलैंड ...

 सिडनीः चीन अपनी आक्रामक नीतियों के चलते दुनिया के लिए मुसीबत बना  हुआ है। अपने खेमे में देशों की संख्‍या बढ़ाने के लिए हर तरह की कोशिश करने में जुटा चीन  अब आस्‍ट्रेलिया और न्‍यूजीलैंड के बीच दरार डालने की कोशिश कर रहा है। ये बात कहते हुए ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने  कहा कि  चीन की इन नापाक कोशिशों के बीच उन्‍होंने साफ कर दिया है कि चीन में मानवाधिकार उल्लंघन के मुद्दे पर दोनों देश एकजुट हैं। दोनों देशों के बीच हुई सालाना बातचीत में सबसे बड़ा मुद्दा रहा है।

 

पत्रकार वार्ता के दौरान ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि चीन उनके बीच मतभेद पैदा करने की कोशिश में लगा हुआ है। उन्‍होंने कहा कि चीन अपनी इस मंशा मं कभी कामयाब नहीं होगा। दोनों ही देश कोविड महामारी की उत्‍पत्ति की जांच के लिए चीन पर दबाव बढ़ाने का समर्थन किया है। उन्‍होंने कहा कि दोनों ही इसके लिए डब्ल्यूएचओ पर दबाव डालते रहेंगे। अपने बयान में मॉरिसन ने ये भी साफ कर दिया है कि इस जांच का राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। भविष्‍य की सुरक्षा के लिए ये जरूरी है कि इसकी जड़ में पहुंचा जाए और इसका पूरा पता लगाया जाए। आपको यहां पर ये भी बता दें कि न्‍यूजीलैंड और आस्‍ट्रेलिया के राष्‍ट्राध्‍यक्षों की मुलाकात करीब 15 माह के अंतराल पर हुई है। दोनों ही देशों के लिए चीन एक बड़ा व्यापारिक साझीदार है।


गौरतलब है कि चीन ने निपटने के मुद्दे पर ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच  तनाव पैदा हो गया था लेकिन बाद में जब न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डर्न आस्‍ट्रेलिया आई तो उन्‍होंने   कहा कि उनका देश वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन में चीन के खिलाफ कार्रवाई में ऑस्ट्रेलिया का समर्थन करेगा।पत्रकारों से बात करते हुए न्यूजीलैंड पीएम ने आर्डर्न ने कहा कि चीन के मुद्दे पर दोनों देशों के बीच हुई बातचीत में न्‍यूजीलैंड के रुख में फर्क नजर नहीं आया है। उन्‍होंने ये भी साफ कर दिया है कि मूलभूत रूप से चीन के मुद्दे दोनों ही देश एक जगह पर ही खड़े हैं।  बता दें कि चीन के खिलाफ मानवाधिकार के उल्‍लंघन के कई आरोप लगे हुए हैं। इस मुद्दे पर निगरानी के लिए फाइव आइज अलायंस का इस्तेमाल करने पर न्‍यूजीलैंड ने आनाकानी की थी।


 न्यूजीलैंड का कहना था कि वो मानवाधिकार उल्‍लंघन पर निगरानी के लिए एक स्वतंत्र एजेंसी को प्रयोग करने के हक में है। ये अलाइंस अंग्रेजी बोलने वाले पांच देश अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड का एक गठबंधन है। ये संगठन एक दूसरे से सूचनाएं एक दूसरे से साझा करते हैं।  एक साझा बयान में दोनों नेताओं ने चीन के शिनजियांग प्रांत में रहने वाले उइगर और अन्य मुस्लिम समुदायों के मानवाधिकारों के उल्‍लंघन पर चिंता जताई है। दोनों का कहना है कि चीन को अंतर्राष्‍ट्रीय कानून का सम्‍मान करना चाहिए। इन दोनों देशों का ये भी कहना है कि उसको शिनजियांग इलाके में संयुक्त राष्ट्र और अन्य स्वतंत्र एजेंसियों को बेरोकटोक आने-जाने की इजाजत देनी चाहिए। हालांकि  चीन शुरुआत से ही अपने ऊपर लगे आरोपों को ठुकराता रहा है।
 

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