Edited By Tanuja,Updated: 26 Aug, 2018 06:38 PM
अमरीका के एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी में अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि कुछ संस्कृतियों में उपचार के दौरान त्वचा के ऊपरी परत पर कीचड़ या गीली मिट्टी का लेप जख्मों में बीमारी पैदा करने वाले रोगाणुओं से लड़ने में मददगार हो सकती है...
वॉशिंगटनः अमरीका के एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी में अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि कुछ संस्कृतियों में उपचार के दौरान त्वचा के ऊपरी परत पर कीचड़ या गीली मिट्टी का लेप जख्मों में बीमारी पैदा करने वाले रोगाणुओं से लड़ने में मददगार हो सकती है। मीडिया के मुताबिक, अमरीका के एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी में अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि मिट्टी की कम से कम एक किस्म में सीआरई एवं एमआरएसए जैसी प्रतिरोधी बैक्टीरिया सहित एस्चेरीचिया कोलाई और स्टाफिलोकोकस ऑरियस बैक्टीरिया से लड़ने वाले प्रतिजैविक प्रतिरोधी (एंटीबैक्टेरियल) प्रभाव होते हैं।
कई बैक्टीरिया में उनके प्लैंक्टोनिक (प्लवक) और बायोफिल्म दोनों स्थितियों में मिट्टी का लेप प्रभावी होता है। प्लैंक्टन एक प्रकार के प्राणी या वनस्पति हैं जो आम तौर पर जल में पाए जाते हैं जबकि बायोफिल्म बैक्टीरिया में पाई जाने वाली एक तरह की जीवन शैली है। अधिकतर बैक्टीरिया बायोफिल्म नामक बहुकोशिकीय समुदाय बनाते हैं जो कोशिकाओं को पर्यावरण के खतरों से सुरक्षित रखते हैं।
अमरीका के मायो क्लिनिक में क्लिनिकल माइक्रोबायोलॉजिस्ट रॉबिन पटेल ने कहा, हमने देखा कि प्रयोगशाला की स्थितियों में कम आयरन वाली मिट्टी बैक्टीरिया की कुछ किस्मों को खत्म कर सकती है। इनमें बायोफिल्म्स के तौर पर पनपे बैक्टीरिया भी हैं जिनका उपचार विशेषकर चुनौतीपूर्ण हो सकता है। यह अनुसंधान इंटरनैशनल जर्नल ऑफ एंटीमाइक्रोबायल एजेंट्स में प्रकाशित हुआ है।बहरहाल यह भी आगाह किया गया है कि हर तरह की मिट्टी फायदेमंद नहीं होती।