Edited By shukdev,Updated: 18 Jun, 2019 06:50 PM
वैज्ञानिकों का मानना है कि जलवायु परिर्वतन भारत में अनाज पैदावार को बहुत हद तक प्रभावित कर सकता है और बेहद खराब मौसमी परिस्थितियों के कारण देश में धान के पैदावार पर काफी असर पड़ सकता है। अमेरिका में कोलंबिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओें ने भारत की...
न्यूयॉर्क: वैज्ञानिकों का मानना है कि जलवायु परिर्वतन भारत में अनाज पैदावार को बहुत हद तक प्रभावित कर सकता है और बेहद खराब मौसमी परिस्थितियों के कारण देश में धान के पैदावार पर काफी असर पड़ सकता है। अमेरिका में कोलंबिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओें ने भारत की पांच प्रमुख खरीफ फसलों रागी, मक्का, बाजरा, ज्वार और धान पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का अध्ययन किया। जून से सितम्बर के बीच मानसून के मौसम में होने वाली इन खरीफ फसलों का भारत के अनाज उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान है।
गौरतलब है कि भारत में रबी के मुकाबले खरीफ फसलों का पैदावार ज्यादा होता है। शोधकर्ताओं ने कहा कि भारत की पोषण संबंधी जरुरतों को पूरा करने के लिए ये पांचों अनाज आवश्यक हैं। ‘एनवायरमेंटल रिसर्च लेटर्स' में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, बाजरा, ज्वार और मक्का की फसलों पर बेहद खराब मौसमी परिस्थितियों का प्रभाव सबसे कम पड़ता है। हर साल जलवायु में होने वाले परिवर्तन का इनकी पैदावार पर कुछ खास असर नहीं होता है। सूखे के दौरान भी इनकी पैदावार में ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है। लेकिन, भारत की मुख्य फसल ‘धान' की पैदावार पर खराब मौसमी परिस्थितियों का कुप्रभाव ज्यादा होता है।
पर्यावरण संबंधी आंकड़ों के विशेषज्ञ काइल डेविस ने कहा, ‘एक फसल (धान) पर अधिक से अधिक निर्भर रहने के कारण भारत की खाद्य आपूर्ति जलवायु परिवर्तन से बुरी तरह प्रभावित हो सकती है।' भारत में तापमान और वर्षा की मात्रा साल दर साल बदलती रहती है और फैसलों की पैदावार को प्रभावित करती है। भारत में सूखा और तूफान जैसी बेहद खराब मौसमी परिस्थितियों की आवृत्ति बढ़ने के कारण अब महत्वपूर्ण हो गया है कि देश के अनाज पैदावार को इनसे बचाने का प्रबंध किया जाए। प्रत्येक फसल की पैदावार का डेटा भारत भर के राज्य कृषि मंत्रालयों से आया और इसमें 46 वर्ष (1966-2011) में भारत के 707 जिलों में से 593 को कवर किया गया है।