'चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे की बलूच लोगों को चुकानी पड़ रही भारी कीमत'

Edited By Tanuja,Updated: 03 Mar, 2020 11:21 AM

cpec costs human life resources in balochistan activists at un

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) की बलूचिस्तान में लोगों को भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार...

पेशावरः चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) की बलूचिस्तान में लोगों को भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 43 वें सत्र के दौरान बलूच राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाते हुए कहा है कि इस योजना से बलूच लोग खुश नहीं हैं और सीपीईसी के खिलाफ लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा, 'सीपीईसी वहां लंबे समय से है और लोग इसके बारे में अपनी आवाज और चिंताओं को उठाते रहे हैं। सिर्फ सीपीईसी ही समस्या नहीं है, 'वन बेल्ट वन रोड' भी बड़ी समस्या है जिसे दुनिया को समझना चाहिए।

 

CPEC: द एक्सप्लोइटेटिव प्रोजेक्ट्स ह्यूमन कॉस्ट इन बलूचिस्तान' शीर्षक से एक कार्यक्रम में बलूच राष्ट्रीय आंदोलन के एक नेता हकीम बलूच ने कहा कि हम दुनिया को इस बारे में बताने की कोशिश कर रहे हैं कि यह एक आर्थिक परियोजना नहीं है। हम बलूचिस्तान में चीनी इंफ्रास्ट्रकचर देख रहे हैं और ये भी देख रहे हैं कि ग्वादर और अन्य क्षेत्रों के स्थानीय लोगों को कितनी बेरहमी से निकाला जा रहा है। उन्होंने मछुआरों के लिए मछली पकड़ना असंभव बना दिया है।' उन्होंने बताया कि सीपीईसी परियोजना की शुरुआत के बाद से बलूचिस्तान में लोगों के गायब होने, लोगों पर यातनाएं और उनकी हत्याओं की घटनाओं में तेजी देखी गई है।

 

इस परियोजना के लिए चीन को साफ रास्ता देने के लिए पाकिस्तानी सेना ने उन क्षेत्रों में अभियान चला रही है जहां से ये परियोजना गुजर रही है। एक अन्य बलूच कार्यकर्ता हातिम बलूच ने कहा, 'आम तौर पर जब किसी क्षेत्र में इस तरह के विकास के कार्य होते हैं, तो यह लोगों के जीवन में समृद्धि लाता है, लेकिन दुर्भाग्य से हमारे साथ ऐसा नहीं हो रहा है। यह पूरी तरह से अलग योजनाएं हैं। इसे बलूच लोगों की इच्छा के बिना किया जा रहा है, वे इस्लामाबाद में योजना बनाते हैं और हम पर लागू करते हैं।' उन्होंने कहा कि यह लोगों के लिए अधिक विनाश लेकर आया है और इस क्षेत्र में कोई भी विकास लाने में विफल रहा है।

 

बलूच नेशनल मूवमेंट के नेता नसीम बलूच ने इसपर कहा, 'सीपीईसी (CPEC) जैसी कई परियोजनाएं बलूच लोगों के खून से और बलूच लोगों की लाशों पर बनाई जा रही हैं। सीपीईसी ने इसे और तेज कर दिया है। जब पाकिस्तान दिवालिया होने की कगार पर था, तब सीपीईसी के 60 बिलियन अमरीकी डालर ने अर्थव्यवस्था के लिए ऑक्सीजन के रूप में काम किया।' नसीम ने कहा कि सीपीईसी के रास्ते में आने वाले लगभग सभी घर और खेत नष्ट हो रहे हैं। इसका फायदा उठाते हुए पाकिस्तान ने बलूचिस्तान में सैन्य अभियान तेज कर दिया है।  

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