अमरीकी रिपोर्ट में दावा, भारत में धार्मिक स्वतंत्रता पर पाबंदी भी मानवाधिकार समस्याओं में शामिल

Edited By ,Updated: 05 Mar, 2017 11:09 AM

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अमरीका की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में मानवाधिकार समस्याओं में विदेशी सहायता प्राप्त गैर सरकारी संगठनों पर पाबंदी, भ्रष्टाचार और पुलिस और सुरक्षा...

वॉशिंगटन: अमरीका की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में मानवाधिकार समस्याओं में विदेशी सहायता प्राप्त गैर सरकारी संगठनों पर पाबंदी, भ्रष्टाचार और पुलिस और सुरक्षा बलों द्वारा अधिकारों का हनन सबसे महत्वपूर्ण हैं।

ट्रंप प्रशासन के दौरान पहली बार आई – द स्टेट डिपार्टमेंट 2016 कंट्री रिपोर्ट्स ऑन ह्यूमन राइट्स प्रेक्टिसेज – ने कहा कि साल 2016 में भारत में मानवाधिकार की दूसरी समस्याओं में लोगों का गायब होना, जेल में खराब हालात और अदालतों में लंबित मामलों की वजह से न्याय में मिल रही देरी प्रमुख हैं। शुक्रवार (3 मार्च) को जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया,‘मानवाधिकार से जुड़ी सबसे अहम समस्याओं में पुलिस और सुरक्षा बलों द्वारा न्यायेतर हत्याओं, प्रताड़ना और दुष्कर्म समेत दूसरे तरह के हनन के मामलों, भ्रष्टाचार, जो व्यापक रूप से फैला है और अपराध के प्रति निष्प्रभावी प्रतिक्रिया में भी योगदान देता है, इनमें महिलाओं, बच्चों, अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों के खिलाफ अपराध भी शामिल हैं। इसमें लैंगिक, धार्मिक जुड़ाव और जाति या जनजाति के आधार पर सामाजिक हिंसा भी शामिल हैं।’

कांग्रेस को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है,‘अन्य मानवाधिकार समस्याओं में गायब होना,जेलों की खतरनाक स्थिति, मनमाने तरीके से गिरफ्तारी या हिरासत और मुकदमे से पहले की लंबी हिरासत अवधि शामिल है। अदालतों में लंबित मामले भी शामिल हैं।’ रिपोर्ट के भारतीय खंड में कहा गया,‘सरकार की तरफ से विदेशी सहायता प्राप्त कुछ गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) पर लगाई गई पाबंदी, इनमें कुछ ऐसे भी हैं जिनके बारे में सरकार को लगता है कि उनके विचार ‘राष्ट्र या जनता के हित’ में नहीं हैं, से नागरिक समाज के काम में कटौती शामिल है।’ रिपोर्ट में निजी अधिकारों के हनन की घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा गया है कि 6 राज्यों में कानून धर्मांतरण रोकता है और इन कानूनों के तहत गिरफ्तारी की खबरें तो आती हैं लेकिन दोषसिद्धी की नहीं।

रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि आनेजाने की आजादी पर कुछ सीमाएं अब भी लागू हैं। इसमें कहा गया कि दुष्कर्म, घरेलू हिंसा, दहेज से जुड़ी हत्याएं, परिवार की झूठी शान के लिए की जाने वाली हत्याएं, यौन उत्पीड़न और महिलाओं और लड़कियों के साथ होने वाला भेदभाव अब भी गंभीर सामाजिक समस्याएं हैं। इसमें कहा गया कि बच्चों के साथ दुर्व्यवहार, जबरन और जल्दी शादी भी समस्याएं हैं। मानव तस्करी, जिनमें बड़े पैमाने पर बच्चों और वयस्कों से बंधुआ और जबरन मजदूरी कराने, वैश्यावृति के लिए बच्चों और वयस्को की तस्करी गंभीर समस्याएं थीं। रिपोर्ट में कहा गया,‘जम्मू कश्मीर, पूर्वोत्तर राज्यों और माओवाद प्रभावित इलाकों में अलगाववादी उग्रवादियों और आतंकवादियों ने गंभीर मानवाधिकार हनन किया, इनमें सशस्त्र बलों, पुलिस, सरकारी कर्मचारियों और नागरिकों की हत्या भी शामिल है।’’

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