ब्रैम्पटन साउथ से एम.पी सोनियां सिद्धू के साथ सीधी बातचीत (Video)

Edited By Isha,Updated: 20 Jun, 2018 02:26 PM

ओंटारियो में स्थानिक निवासियों और पंजाबी भाईचारो के नशाने पर आए स्टूडैंट्स का ब्रैम्पटन साउथ से लिबरल पार्टी की संसद मैंबर सोनीं सिद्धू ने बचाव किया है। सोनीं ने कहा कि पढ़ाई के

ओंटारियोः ओंटारियो में स्थानिक निवासियों और पंजाबी भाईचारो के नशाने पर आए स्टूडैंट्स का ब्रैम्पटन साउथ से लिबरल पार्टी की संसद मैंबर सोनीं सिद्धू ने बचाव किया है। सोनीं ने कहा कि पढ़ाई के लिए कनाडा आने वाले सभी स्टूडैंट्स बुरे नहीं हैं और । जग बाणी के रमनदीप सिंह सोढी और नरेश कुमार के साथ विशेष बातचीत दौरान सोनीं ने अपने सियासी जीवन, इमीग्रेशन के मुद्दों और भारत -कनाडा के बीच संबंधों पर विस्तार के साथ चर्चा की। पेश है सोनीं सिद्धू के साथ हुई पूरी बातचीत -

सवालः आपका परिवार कहाँ से है और आप कनाडा कैसे आए?
जवाबः
मेरा जन्म अमृतसर में  हुआ और मैं दसवीं कक्षा तक वहीं पढ़ी हूं। इस के बाद उच्च शिक्षा मैने वहीं से हासिल की। 1993 में मैं सपाऊस वीज़े पर कनाडा आई और यहां आकर कम्पयूटर विज्ञान और मैडीकल की पढ़ाई की। हम पहलें विनीपैग में रहते थे पर बाद में हम ब्रैम्पटन में रहना शुरू कर दिया।

सवालः कनाडा की सियासत में कैसे कवें आए?
जवाबः
मेरे पति सियासत में सक्रिय थे और ब्रैम्पटन में वह अपने इलाके में लिबरल पार्टी के प्रधान थे, लिहाज़ा मुझे उन के साथ काम करने का मौका मिला। मैने कई बार मतदान दौरान लिबरल पार्टी के उम्मीदवारों के लिए प्रचार में सहयोग किया। मैं ब्रैम्पटन में डायबटिज़ ऐक्जिक्यूटर के तौर पर 14 साल सेवाओं दी है लिहाज़ा मेरा लोगों के साथ सीधा संबंध बन गया। पिछली फेडरल मतदान दौरान मुझे पार्टी की तरफ से मैदान में उतरने का मौका मिला और ब्रैम्पटन के लोगों ने मुझ पर भरोसा ज़ाहिर करते मुझे संसद  में भेजा।

सवालः कैनेडा में पड़ने वाले भारतीय स्टूडैंट्स को लेकर लोगों में गुस्सा है, आप इस बारे क्या सोचते हो?
जवाबः
ब्रैम्पटन का वह कालेज मेरे ही हलके में ही आता है, जहां भारतीय मूल के स्टूडैंट्स पढ़ाई करने आते हैं। यहां कई बार स्टूडैंट्स के झगडे की ख़बर ज़रूर आती है परन्तु कनाडा में पढ़ाई के लिए आने वाले सभी स्टूडैंट्स बुरे नहीं हैं। स्टूडैंट्स के झगडे हर जगह होते हैं। यहां के कैनेडियन बच्चे भी स्कूलों और कालेजों में आपस में लड़ते हैं कुछ बच्चे के झगडे के कारण हम सभी स्टूडैंट्स को बुरा नहीं कह सकते। इन स्टूडैंट्स कारण कनाडा की आर्थिकता को सहारा मिला है। यह स्टूडैंट्स पढाई के साथ-साथ मेहनत करते हैं और देश की जी. डी. पी. में योगदान डालते हैं। जो स्टूडैंट यहां कानून को तोड़ते है, उसके ख़िलाफ़ कालेज मैनेजमेंट और पुलिस भी सख़्त कार्यवाही करती है। गंभीर मामलों में शामिल कुछ विद्यार्थी डिपोरट भी हुए हैं।

सवाल: कनाडा के लिए दीवानगी कारण लूट के शिकार हो रहे पंजाबी स्टूडैंट्स को क्या संदेश देना चाहोगे ? 
जवाब :
माँ -बाप बहुत मेहनत से पैसे कमाते हैं। यह पैसा फ़र्ज़ी ट्रैवल एजेंटों के पास ख़राब न करो। कनाडा की शिक्षा के बारे सारी जानकारी  आनलाइन मुहैया है। यदि आप शर्तें पुरी नहीं करते और आपके कागज़ात पूरे नहीं हैं तो कोई आपका स्टडी वीज़ा  की गारंटी नहीं ले सकता। यदि कोई गारंटी लेता है तो वह फरज़ीवाड़ा कर रहा है, उस से बचो और अपने पैसे ख़राब न करो। पंजाब में ट्रैवल एजेंट स्टडी वीज़ा कम और पी. आर. ज्यादा बेच रहे हैं। स्टूडैंट्स पहलें इस बात की पडताल ज़रूर कर लेने कि जिस पाठ्यक्रम में वह दाख़िला ले रहे हैं, उसके तहत पढ़ाई पूरी करने के बाद पी.आर. हासिल करने आप्शन मौजूद है या नहीं।

सवालः आप अपने हलके के लिए अब तक क्या काम किया है?
जवाबः  
मैं संसद की हैल्थ समिति में हूँ और यह समिति पिछले दो साल से नेशनल फार्मा केयर नीति पर काम कर रही है। इस की रिर्पोट लागू होने के बाद लोगों को बीमार होने की हालत में दवाएँ पर ज्यादा ख़र्च नहीं करना पड़ेगा। इस के इलावा मैं डायबटीज़ पर बनी समिति की अध्यक्ष्ता करती हूँ और इस मामले में मैं एक बिल संसद में पेश किया है। इसके लागू होने के बाद कनाडा में शुगर की रोकथाम के लिए नीति बनेगी। जहां तक मेरे अपने हलके का सवाल है, मैं ब्रैम्पटन में स्थानिक सरकार के साथ  तालमेल करने के साथ काम किया है और बुनयादी ढांचो के कई प्राजैकट के पास करवाए हैं।

सवालः बतौर महिल क्या आपको कभी भेदभाव का सामना करना पड़ा है?
जवाबः
कैनेडा में  लैगिंग  भेदभाव बहुत कम हो रहा है। प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो इस मामले में ध्यान देते है। उन्होंने अपनी कैबनिट में कई औरतों को जगह दी है। ब्रैम्पटन से ही पाँच में 3 औरतें संसद मैंबर हैं। इसके इलावा यहां की मेयर और पुलिस प्रमुख भी औरतें ही हैं। औरतें को संसद की अलग -अलग समितियाँ में भी जगह दी गई है।

सवालः प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो का भारत दौरा असफल क्यों हो गया ?
जवाबः
 भारत ने पिछले कुछ सालों में काफ़ी विकास किया है। हालही की यात्रा दौरान मैंने देखा कि यहां कि  बुनियादी ढांचे में काफी बदलाव हुआ है पर फिर भी अभी बहुत काम किया जाना बाकी है ख़ास तौर पर शिक्षा और सहित के इलावा औरतें को बराबर के अधिकार दिए जाने की तरफ।

सवालः क्या ओंटारियों मतदान के नतीजो का प्रभाव फेडरल मतदान पर पड़ेगा?
जवाबः
फेडरल मतदान में लोग नेता और पार्टी की नीतियाँ को देख कर वोट डालते हैं। यहां सियासत भारत जैसी नहीं है और प्रांतीय और फेडरल पार्टी में बहुत फर्क होता है। प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो जनता के हरमन प्यारे है और  लिबरल पार्टी की सरकार ने अपने कार्यकाल में जनता के हितों के साथ जुडे कई कामों को किया है, लिहाज़ा मुझे नहीं लगता क इन मतदान का प्रभाव फेडरल मतदान पर पड़ेगा। 

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