चीनी फैक्ट्रियां पहुंचा रहीं ओजोन परत को नुकसान, पर्यावरण वैज्ञानिक परेशान

Edited By Tanuja,Updated: 10 Jul, 2018 01:34 PM

eia report confirm ozone killing substance in chinese factories

पर्यावरण जांच एजेंसी (EIA) ने खुलासा किया है  चीनी फैक्ट्रियों की वजह से ओजोन परत को भारी नुकसा पहुंच रहा है । EIA  की एक रिपोर्ट के अनुसार 10 चीनी प्रांतों में 18 कारखानों द्वारा प्रतिबंधित क्लोरोफ्लोरोकार्बन का उपयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है।एक...

बीजिंगः पर्यावरण जांच एजेंसी (EIA) ने खुलासा किया है  चीनी फैक्ट्रियों की वजह से ओजोन परत को भारी नुकसा पहुंच रहा है । EIA  की एक रिपोर्ट के अनुसार 10 चीनी प्रांतों में 18 कारखानों द्वारा प्रतिबंधित क्लोरोफ्लोरोकार्बन का उपयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है।एक पर्यावरण दबाव समूह ने सोमवार को दावा किया कि चीनी कारखाने अवैध रूप से ओजोन-अपूर्ण CFC का उपयोग कर रहे हैं और यह बात वैज्ञानिकों को परेशान कर रही है।  वैज्ञानिकों  के अनुसार क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC) एक कार्बनिक यौगिक है जो केवल कार्बन, क्लोरीन, हाइड्रोजन और फ्लोरीन परमाणुओं से बनता है।

PunjabKesariCFC का इस्तेमाल रेफ्रिजरेंट, प्रणोदक (एयरोसोल अनुप्रयोगों में) और विलायक के तौर पर व्यापक रूप से होता है।ओजोन निःशेषण में इसका योगदान देखते हुए, CFC जैसे यौगिकों का निर्माण मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के तहत चरणबद्ध तरीके से 2010 में विकासशील देशों में आधिकारिक तौर पर बंद कर दिया गया था। उत्पादकों और व्यापारियों ने EIA शोधकर्ताओं को बताया कि उभरते निर्माण क्षेत्र में एक इन्सुलेटर के रूप में सीएफसी -11 की बहुत मांग है  लेकिन सीएफसी एेसा रसायन है जो  खतरनाक सौर किरणों से पृथ्वी पर जीवन रक्षक ओजोन परत को नुकसान पहुंचा रही है ।

PunjabKesari

चीनी  विदेश मंत्रालय का दावा
इस संबंध में की गई शिकायात पर चीनी अधिकारियों का कहना है कि  कि देश ने 2007 में सीएफसी का उपयोग को सफलतापूर्वक समाप्त कर दिया था।  विदेश मंत्रालय ने सोमवार को बताया कि चीन ने मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए "जबरदस्त योगदान" दिया है। मंत्रालय ने EIA रिपोर्ट में किए दावों के जवाब दिए बिना एक फैक्स टिप्पणी में कहा, "सीएफसी -11 उत्सर्जन एकाग्रता में वृद्धि एक वैश्विक मुद्दा है जिसे सभी पक्षों द्वारा गंभीरता से लिया जाना चाहिए।" बयान में कहा गया है, "अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की तरह चीन  इस मुद्दे  पर बहुत चिंतित है।"
PunjabKesari
क्या है ओजोन परत
उल्लेखनीय है कि ओजोन परत पृथ्वी के वायुमंडल की एक परत है जिसमे ओजोन गैस की सघनता अपेक्षाकृत अधिक होती है। इसे O3 के संकेत से प्रदर्शित करते हैं। यह परत सूर्य के उच्च आवृत्ति के पराबैंगनी प्रकाश की 93-99 % मात्रा अवशोषित कर लेती है, जो पृथ्वी पर जीवन के लिये हानिकारक है। पृथ्वी के वायुमंडल का 91 % से अधिक ओजोन यहां मौजूद है।यह मुख्यतः स्ट्रैटोस्फियर के निचले भाग में पृथ्वी की सतह के ऊपर लगभग 10 किमी से 50 किमी की दूरी तक स्थित है, यद्यपि इसकी मोटाई मौसम और भौगोलिक दृष्टि से बदलती रहती है।ओजोन की परत की खोज 1913 में फ्रांस के भौतिकविदों फैबरी चार्ल्स और हेनरी बुसोन ने की थी। इसके गुणों का विस्तार से अध्ययन ब्रिटेन के मौसम विज्ञानी जी एम बी डोबसन ने किया था। उन्होने एक सरल स्पेक्ट्रोफोटोमीटर विकसित किया था जो स्ट्रेटोस्फेरिक ओजोन को भूतल से माप सकता था। सन 1928 से 1958 के बीच डोबसन ने दुनिया भर में ओजोन के निगरानी केन्द्रों का एक नेटवर्क स्थापित किया था, जो आज तक काम करता है (2008)। ओजोन की मात्रा मापने की सुविधाजनक इकाई का नाम डोबसन के सम्मान में डोबसन इकाई रखा गया है।

ओजोन परत का महत्व
समताप मंडल में स्थित ओजोन परत समस्त भूमण्डल के लिए एक सुरक्षा कवच का काम करती है। यह सूर्य की हानिकारक बैंगनी किरणों को ऊपरी वायुमण्डल में ही रोक लेती है, उन्हें पृथ्वी की सतह तक नहींं पहुंचने देती। पराबैंगनी विकिरण मनुष्य, जीव जंतुओं और वनस्पतियों के लिए अत्यंत हानिकारक है।
PunjabKesari
क्लोरोफ्लोरोकार्बन गैस का दुष्प्रभाव
1. क्लोरोफ्लोरोकार्बन गैस से पराबैंगनी किरणें पैदा होती हैं जो जिनसे त्वचा का कैंसर होने की संभावना रहती है। यह मनुष्य और पशुओं की डी.एन.ए. (D.N.A.) संरचना में बदलाव लाती है।
2. इनके कारण आंखो में मोतियाबिन्द की बीमारी उत्पन्न होती है और यदि समय से उपचार न किया जाए तो मनुष्य अंधा भी हो सकता है।
3. पराबैंगनी किरणें मनुष्य की प्रतिरोधक क्षमता (Immune Efficiency) को कम करती हैं, जिसके कारण वह कई संक्रामक रोगों का शिकार हो सकता है।
4. पराबैंगनी किरणें पेड़-पौधों की प्रकाश संश्लेेषण क्रिया को प्रभावित करती हैं।
5. एक विशेष प्रकार की पराबैंगनी किरणें (UV-B) समुद्र में कई किलोमीटर तक प्रवेश कर समुद्री जीवन को क्षति पहुॅंचाती हैं।
6. यदि कोई गर्भवती महिला इनके संपर्क में आ जाए तो गर्भस्थ शिशु (Foetus) को अपूर्णीय क्षति हो सकती है।
PunjabKesari
समस्या -निराकरण में विश्व भर के देशों के प्रयास
ओजोन परत के संरक्षण हेतु 1985 में आस्ट्रिया की राजधानी में “वियना कन्वेंशन” संपन्न हुई, जो कि ओजोन क्षरण पदार्थों (Ozone Depletion Substances) पर नियंत्रण हेतु एक सार्थक प्रयास था। ओजोन परत के क्षरण की समस्या पर विश्व भर का ध्यान आकर्षण हेतु संयुक्त राष्ट्र ने 16 दिसम्बर का दिन “विश्व ओजोन दिवस” के रूप में मनाने का निर्णय लिया। 16 दिसम्बर, 1987 को सयुक्त राष्ट्र संघ के तत्वावधान में ओजोन छिद्र से उत्पन्न चिंता निवारण हेतु कनाडा के मांट्रियाल शहर में 33 देशों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसे “मांट्रियाल प्रोटोकाल” कहा जाता है। इस सम्मेलन में यह तय किया गया कि ओजोन परत का विनाश करने वाले पदार्थ क्लोरो फ्लोरो कार्बन (सी.एफ.सी.) के उत्पादन एवं उपयोग को सीमित किया जाए। भारत ने भी इस प्रोटोकाल पर हस्ताक्षर किए।

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!