EU: ईरान के परमाणु समझौता न मानने को लेकर, कार्रवाही की तैयारी

Edited By Ashish panwar,Updated: 19 Jan, 2020 10:34 PM

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ईयू के तीन देशों ने मंगलवार को एक प्रक्रिया की शुरुआत की है। जिसमें ईरान पर परमाणु कार्यक्रम को छोटा करने, और 2015 के समझौते का पालन न करने का आरोप लगाया गया है। इस घोषणा से ईरान क्षुब्ध है और बढ़ते तनाव के बीच तेहरान ने चेतावनी दी है। ब्रिटेन,...

इंटरनेशनल डेस्कः ईयू के तीन देशों ने मंगलवार को एक प्रक्रिया की शुरुआत की है। जिसमें ईरान पर परमाणु कार्यक्रम को छोटा करने, और 2015 के समझौते का पालन न करने का आरोप लगाया गया है। इस घोषणा से ईरान क्षुब्ध है और बढ़ते तनाव के बीच तेहरान ने चेतावनी दी है। ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी ने कहा कि वे समझौते को लेकर प्रतिबद्ध बने रहे। जबकि 2018 में अमेरिका के समझौते के बाहर होने से यह सवालों के घेरे में है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने संकेत दिए कि वह अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के साथ हुए व्यापक समझौते को ही प्राथमिकता देंगे। अमेरिकी हमले में ईरान के शीर्ष कमांडर कासिम सुलेमानी के मारे जाने और तेहरान का यह स्वीकारना कि उसने यूक्रेन के विमान को मार गिराया था। इसके बाद पश्चिमी देशों और ईरान के मध्य चल रहा तनाव अब धीरे-धीरे बढ़ रहा है।

 

 

यूरोपीय देशों के विदेश मंत्रियों ने कहा कि ईरान अपनी प्रतिबद्धताओं से पिछले वर्ष मई के बाद से लगातार पीछे हट रहा है। ‘इसलिए ईरान के कार्यों को देखते हुए हमारे पास कोई विकल्प नहीं है।’ वियना में 2015 में हुए समझौते को ज्वाइंट कम्प्रिहेंसिव प्लान ऑफ ऐक्शन के नाम से जाना जाता है। इसमें प्रावधान है कि एक पक्ष संयुक्त आयोग के समक्ष दूसरे पक्ष द्वारा अनुपालन नहीं करने का दावा कर सकता है। अगर मुद्दा आयोग द्वारा नहीं सुलझाया जाता है तो यह फिर सलाहकार बोर्ड के पास जाता है और फिर यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के समक्ष जाता है जो फिर से प्रतिबंध लगा सकता है।

 

 

 

 

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