Edited By Tanuja,Updated: 04 Feb, 2019 02:13 PM
वैज्ञानिकों ने एक नए अध्ययन के बाद दावा किया है कि फ्लू होने से एक वर्ष तक स्ट्रोक यानि पक्षाघात का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि, शोधकर्ता इसके पीछे के कारणों के बारे में ज्यादा नहीं बता रहे...
सिडनीः वैज्ञानिकों ने एक नए अध्ययन के बाद दावा किया है कि फ्लू होने से एक वर्ष तक स्ट्रोक यानि पक्षाघात का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि, शोधकर्ता इसके पीछे के कारणों के बारे में ज्यादा नहीं बता रहे। इसे पिछले अध्ययनों से भी जोड़ कर देखा जा सकता है जिसमें यह दावा किया गया था कि फ्लू की दवा स्ट्रोक का खतरा कम करती है।
अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अध्ययन के लिए 72 वर्ष के आयु के आस-पास के ऐसे 30,912 लोगों का रिकॉर्ड देखा जिनको स्ट्रोक होने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अमेरिकन स्ट्रोक एसोसिएशन के इंटरनेशनल स्ट्रोक क्रांफ्रेंस 2019 में इसके परिणाम रखे गए गए। अध्ययन के अनुसार उन लोगों को स्ट्रोक होने का 40 प्रतिशत तक ज्यादा खतरा था, जिनको पिछले 15 दिनों के भीतर ही फ्लू जैसे लक्षणों के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मिशिगन स्टेट के प्रोफेसर फिलिप बी गोरेलिक ने कहा, यह एसोसिएशन 15 दिनों का था। एक अन्य अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया कि फ्लू होने के बाद गर्दन की धमनी के फटने का खतरा बढ़ जाता है। इसको औपचारिक रूप से ग्रीवा धमनी विच्छेदन कहा जाता है ।
क्या होता है स्ट्रोक यानि पक्षाघात
पक्षाघात तब लगता है जब अचानक मस्तिष्क के किसी हिस्से मे रक्त आपूर्ति रुक जाती है या मस्तिष्क की कोई रक्त वाहिका फट जाती है और मस्तिष्क की कोशिकाओं के आस-पास की जगह में खून भर जाता है। जिस तरह किसी व्यक्ति के हृदय में जब रक्त आपूर्ति का आभाव होता तो कहा जाता है कि उसे दिल का दौरा पड़ गया है उसी तरह जब मस्तिष्क में रक्त प्रवाह कम हो जाता है या मस्तिष्क में अचानक रक्तस्राव होने लगता है तो कहा जाता है कि आदमी को "मस्तिष्क का दौरा’’ पड़ गया है। पक्षाघात में आमतौर पर शरीर के एक हिस्से को लकवा अर्धांगघात मार जाता है। सिर्फ़ चेहरे, या एक बांह या एक पैर या शरीर और चेहरे के पूरे एक पहलू में लकवा मार सकता है या दुर्बलता आ सकती है।