Edited By shukdev,Updated: 06 Mar, 2020 06:30 PM
शोधकर्ताओं ने मानव शरीर में एक ऐसे प्रोटीन का पता लगाने का दावा किया है, जो कोरोना वायरस को फेफड़े की कोशिकाओं तक पहुंचाने में मददगार होता है। इस संक्रमण से निपटने के लिए बनाई जाने वाली दवा के लिए यह जानकारी महत्वपूर्ण हो सकती है। जर्मनी के डच...
बर्लिन: शोधकर्ताओं ने मानव शरीर में एक ऐसे प्रोटीन का पता लगाने का दावा किया है, जो कोरोना वायरस को फेफड़े की कोशिकाओं तक पहुंचाने में मददगार होता है। इस संक्रमण से निपटने के लिए बनाई जाने वाली दवा के लिए यह जानकारी महत्वपूर्ण हो सकती है। जर्मनी के डच प्राइमेटेनजेंट्रम के शोधकर्ताओं ने कहा कि नया कोरोना वायरस (सार्स सीओवी-2) सांस लेने के साथ फैलने वाला संक्रमण है। इससे दुनियाभर में तीन हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 90 हजार से ज्यादा संक्रमित हैं।
'जर्नल सेल' में प्रकाशित शोध के मुताबिक, दिसंबर 2019 से फैल रहा कोरोना वायरस वर्ष 2002-2003 में फैले सार्स वायरस की महामारी से करीबी तौर पर संबंधित है, जिसके कारण सांस लेने में गंभीर समस्या हो जाती है। इसमें कहा गया है कि वर्तमान में इस वायरस से लड़ने के लिए कोई टीका या दवाई उपलब्ध नहीं है। वैज्ञानिकों ने इस बारे में पता लगाने का प्रयास किया है कि कोरोना वायरस किन कोशिकाओं के जरिए शरीर में प्रवेश करता है और इसे कैसे रोका जा सकता है। उन्हें एक ऐसे प्रोटीन की जानकारी मिली है, जिसके जरिए कोरोना वायरस फेफड़े की कोशिकाओं तक पहुंच जाता है।
जर्मन प्राइमेट सेंटर के सह लेखक स्टीफन पोलमेन ने कहा,'हमारे नतीजे दर्शाते हैं कि सार्स-सीओवी-2 को कोशिकाओं में प्रवेश करने के लिए शरीर में मौजूद टीएमपीआरएसएस-2 प्रोटीन की जरूरत होती है।' उन्होंने कहा कि यह प्रोटीन चिकित्सकीय हस्तक्षेप के लिए प्रस्तावित लक्ष्य है। शोधकर्ताओं ने कहा कि जापान में अग्नाशय की सूजन के लिए उपयोग की जाने वाली एक दवा 'केमोस्टेट मेसिलेट' टीएमपीआरएसएस-2 प्रोटीन को रोकने में कारगर है। उन्होंने कहा कि वह इस बात का पता लगा रहे हैं कि क्या इस दवा से कोरोना वायरस की रोकथाम की जा सकती है।