'गिलगित-बलटिस्तान हमेशा से जम्मू-कश्मीर का ही हिस्सा,अदालत ने भी लगाई कड़ी फटकार

Edited By Tanuja,Updated: 09 Nov, 2020 05:10 PM

gilgit baltistan has always been a part of j k activist

पाक अधिकृत कश्मीर में गिलगित-बाल्टिस्तान को लेकर जहां स्थानीय लोगों ने बगावत तेज कर दी है वहीं विदेशों और वैश्विक मंचों पर भी इसके खिलाफ आवाज मुखर हो रही है...

लंदन/पेशावरः पाक अधिकृत कश्मीर में गिलगित-बाल्टिस्तान को लेकर जहां स्थानीय लोगों ने बगावत तेज कर दी है वहीं विदेशों और वैश्विक मंचों पर भी इसके खिलाफ आवाज मुखर हो रही है। इमरान सरकार द्वारा गलत ढंग से अंतरिम प्रांत का दर्जा देने के बाद यहां चुनाव के ऐलान के बाद यह मुद्दा और गर्मा गया है। इमरान खान की पार्टी (पीटीआई) के मंत्रियों द्वारा क्षेत्र में राजनीतिक अभियान चलाकर चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन पर जहां गिलगित-बाल्टिस्तान मुख्य अदालत ने कड़ी फटकार लगाई और तीन दिन में क्षेत्र छोड़ने को कहा है वहीं राजनीतिक कार्यकर्ता ने कहा कि गिलगित-बलटिस्तान हमेशा जम्मू और कश्मीर का ही हिस्सा रहेगा।

 

लंदन में एक स्थानीय राजनीतिक कार्यकर्ता ने कहा कि गिलगित-बलटिस्तान हमेशा जम्मू और कश्मीर का ही हिस्सा रहेगा। इस क्षेत्र के पाकिस्तान का तथाकथित प्रांत बनने से यहां कभी विकास नहीं होगा। बलूचिस्तान से जुड़े एक चैनल से बातचीत में गिलगित-बलटिस्तान शोध संस्थान के अध्यक्ष सेंगे सेरिंग ने कहा कि यह क्षेत्र कभी भी पाकिस्तान का हिस्सा नहीं बनेगा। गिलगित-बलटिस्तान के लोगों ने देखा है कि पाकिस्तान का हिस्सा बनकर बलूचिस्तान में कभी भी कोई विकास नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि भारत में रह रहे गिलगित-बलटिस्तान के लोग भारतीय संविधान के तहत स्वतंत्रता और समानता के अधिकार के साथ जी रहे हैं। उन्होंने कहा कि गिलगित-बलटिस्तान के लोग पिछले 73 सालों से किसी भी कानून के अधीन नहीं हैं। उनका कोई न्यायिक या संवैधानिक प्रमुख नहीं है। अगर हम भारत के साथ रहे होते तो हमें उनके संविधान के तहत जगह मिलती।

 

पाकिस्तान से युद्ध के बाद 1971 में भारत ने तत्काल गिलगित-बलटिस्तान के कुछ गांवों को अपने अधिकार में ले लिया था। भारत सरकार ने उन्हें तत्काल संवैधानिक अधिकार और संवैधानिक सीमाएं प्रदान कर दी थीं। इसीलिए यहां के लोगों को संसद में अपने प्रतिनिधि भेजने का अवसर नहीं मिला। ‘द न्यूज’ की रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस मलिक हक नवाज और जस्टिस अली बेग की दो सदस्यीय खंडपीठ ने आगामी चुनावों से पहले आचार संहिता के उल्लंघन को लेकर दायर एक रिट याचिका पर यह फैसला सुनाया है। अदालत ने संघीय मंत्रियों और अधिकारियों को तीन दिनों में इलाका खाली करने का आदेश देते हुए गिलगित-बाल्टिस्तान के मुख्य चुनाव आयुक्त राजा शाहबाज खान, मुख्य सचिव और सीएम को यह निर्णय जल्द लागू करने के निर्देश दिए।

 

इससे पहले पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के नेता शेरी रहमान ने क्षेत्र में इमरान खान और उनके मंत्रियों पर राजनीतिक अभियान चलाकर आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत की थी। रहमान ने कहा, पीएम इमरान खान और एक संघीय मंत्री अमीन यहां अवैध रूप से अपना पार्टी अभियान चला रहे हैं। गौरतलब है कि गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र एक विवादित इलाका है और इस पर भारत का दावा है। पाकिस्तान द्वारा इसे राज्य का दर्जा देने पर भारत कड़ा विरोध दर्ज करा चुका है। जबकि यहां के स्थानीय निवासी भी पाकिस्तान के साथ नहीं हैं। ये लोग इस्लामाबाद के इस फैसले का लगातार विरोध कर रहे हैं। वे अवैध रूप से पाकिस्तानी कब्जे वाले क्षेत्र को एकीकृत करने के फैसले के खिलाफ हथियारबंद हैं।

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