Edited By shukdev,Updated: 01 Nov, 2018 12:31 AM
श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना के अगले हफ्ते संसद की बैठक फिर से बुलाने के लिए राजी हो जाने की संभावना हैं। संसद के अध्यक्ष कारू जयसूर्या के कार्यालय ने बुधवार को यह जानकारी दी। राष्ट्रपति और अपदस्थ प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के बीच...
कोलंबो : श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना के अगले हफ्ते संसद की बैठक फिर से बुलाने के लिए राजी हो जाने की संभावना हैं। संसद के अध्यक्ष कारू जयसूर्या के कार्यालय ने बुधवार को यह जानकारी दी। राष्ट्रपति और अपदस्थ प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के बीच किसी तरह के टकराव की स्थिति को टालने के लिए एक समझौते पर काम किए जाने के संकेतों के बीच यह घटनाक्रम हुआ है।
स्पीकर जयसूर्या ने राष्ट्रपति सिरीसेना के साथ बुधवार की शाम आपात बैठक कर प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को पद से हटाने के मुद्दे पर बने मौजूदा राजनीतिक गतिरोध को खत्म करने के लिए संसद की बैठक फिर से बुलाने की जरूरत को लेकर उन्हें मनाने की कोशिश की। यह बैठक ऐसे समय में बुलाई गई है, जब श्रीलंका के अटॉर्नी जनरल (एजी) जयंत जयसूर्या ने बुधवार को राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को बर्खास्त कर उनकी जगह मङ्क्षहदा राजपक्षे को प्रधानमंत्री बनाए जाने के मुद्दे का समर्थन करने से इनकार कर दिया।
अटॉर्नी जनरल ने प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को बर्खास्त किए जाने के मुद्दे पर संसद के अध्यक्ष (स्पीकर) कारू जयसूर्या को कोई राय देने से इनकार कर दिया और कहा कि ऐसा करना अनुचित समझा जाएगा। कुछ राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्पष्ट संकेत है कि एजी इस कदम को असंवैधानिक मानते हैं। जयसूर्या ने संकट पैदा होने के बाद से ही इस मुद्दे को शक्ति परीक्षण के साथ संसद में सुलझाए जाने की जरूरत बताई है। सिरीसेना शक्ति परीक्षण के लिए संसद की बैठक फिर से बुलाने को लेकर लगातार अंतरराष्ट्रीय दबाव झेल रहे हैं। चीन और बुरुंडी को छोड़ कर अन्य देशों ने राजपक्षे को नया प्रधानमंत्री मानने से इनकार कर दिया है।
श्रीलंका में जारी राजनीतिक उथल-पुथल के बीच संयुक्त राष्ट्र की एक शीर्ष राजनयिक ने बुधवार को राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना से मुलाकात की और वर्तमान राजनीतिक संकट पर उनसे चर्चा की। संयुक्त राष्ट्र की रेजिडेंट को-ऑॢडनेटर हाना सिंगर ने सिरिसेना से मुलाकात की। इससे पहले संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने गहराते राजनीतिक संकट पर ‘गंभीर चिंता’ जताई थी और देश की सरकार से लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक प्रावधानों तथा प्रक्रियाओं का सम्मान करने की अपील की थी।