Edited By Tanuja,Updated: 12 Dec, 2019 04:56 PM
स्वीडन की पर्यावरण ऐक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग (16) को प्रतिष्ठित टाइम मैगजीन ने 2019 का ''पर्सन ऑफ द ईयर'' खिताब के लिए चुना है। ग्रेटा इस साल उस वक्त चर्चा में आई थीं...
न्यूयॉर्कः स्वीडन की पर्यावरण ऐक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग (16) को प्रतिष्ठित टाइम मैगजीन ने 2019 का 'पर्सन ऑफ द ईयर' खिताब के लिए चुना है। ग्रेटा इस साल उस वक्त चर्चा में आई थीं जब उन्होंने संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में दुनियाभर के शक्तिशाली नेताओं पर ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन से निपटने में नाकाम रहने और इस तरह नई पीढ़ी से विश्वासघात करने का आरोप लगाया था।
इस कार्यक्रम में उस वक्त यूएन चीफ एंतानियो गुतारस भी मौजूद थे। ग्रेटा उस वक्त भी चर्चा में आई थीं, जब उन्होंने एक पर्यावरण पुरस्कार स्वीकार करने से इंकार कर दिया था। उन्होंने कहा था कि जलवायु अभियान में आवश्यकता इस बात की है कि सत्ता में बैठे लोग पुरस्कार देने के बजाए विज्ञान का अनुसरण शुरू करें। मैगजीन ने ग्रेटा को 'पर्सन ऑफ द ईयर'' चुने जाने पर लिखा, 'साल भर के अंदर ही स्टॉकहोम की 16 साल की लड़की ने अपने देश की संसद के बाहर प्रदर्शन किया और फिर विश्वभर में युवाओं के आंदोलन का नेतृत्व किया।'
मैगजीन ने लिखा कि महज इतनी कम अवधि के अंदर ही उन्हें संयुक्त राष्ट्र चीफ से मुलाकात का मौका मिला, तो वहीं उनके स्रोताओं में विभिन्न देशों के राष्ट्रपति के साथ ही पोप भी शामिल रहे। टाइम ने लिखा, पूरे यूरोप में 'फ्राइडेज फॉर फ्युचर' प्रदर्शन की अगुवाई की थी तो वहीं संयुक्त राष्ट्र में दुनिया के सबसे शक्तिशाली नेताओं के सामने उनका 'आपकी इतनी हिम्मत' भाषण काफी चर्चा में रहा। मैगजीन ने ग्रेटा को यह सम्मान देने के पीछे तर्क देते हुए कहा, 'ग्रेटा इस ग्रह के सबसे बड़े मुद्दे पर सबसे बड़ी आवाज बनकर उभरी हैं।
ग्रेटा ऐक्शन की मांग करती हैं, उनका कहना है कि कई उपाय गलत दिशा में उटाए जा रहे हैं।' उल्लेखनीय है कि सितंबर में संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में ग्रेटा ने कड़े शब्दों में कहा था कि अपनी खोखली बातों से आपने मेरे सपने और मेरा बचपन छीन लिया है। लोग त्रस्त हैं, लोग मर रहे हैं, पूरी पारिस्थितिकी ध्वस्त हो रही है। हम सामूहिक विलुप्ति की कगार पर हैं और आप पैसों के बारे में तथा आर्थिक विकास की काल्पनिक कथाओं के बारे में बातें बना रहे हैं। वहीं, बुधवार को मैड्रिड में एक शिखर सम्मेलन में अमीर देशों पर ग्रीन हाउस उत्सर्जन को कम करने से बचने के तरीके इजाद करने का आरोप लगाया और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ उनकी कार्रवाई को भ्रम पैदा करने वाला बताया।