कोरोना के खिलाफ जंग में बिना हथियारों के दुश्मन से लड़ रहे हैं स्वास्थ्य कर्मी

Edited By rajesh kumar,Updated: 15 Apr, 2020 12:14 PM

health workers fighting the enemy without weapons

वैश्विक महामारी कोविड-19 से निपटने की लड़ाई में बड़ी भूमिका निभा रहे डॉक्टर, नर्स और स्वास्थ्य कर्मियों का कहना है कि वे बिना हथियार के युद्ध के मैदान में उतर गए हैं। याओंदे से लेकर रोम, रोम से लेकर न्यूयॉर्क तक 19 लाख से अधिक लोग कोरोना वायरस से...

रोम: वैश्विक महामारी कोविड-19 से निपटने की लड़ाई में बड़ी भूमिका निभा रहे डॉक्टर, नर्स और स्वास्थ्य कर्मियों का कहना है कि वे बिना हथियार के युद्ध के मैदान में उतर गए हैं। याओंदे से लेकर रोम, रोम से लेकर न्यूयॉर्क तक 19 लाख से अधिक लोग कोरोना वायरस से विश्वभर में संक्रमित हैं और 1,18,000 लोगों की इससे जान जा चुकी है। अस्पताल के कर्मचारी सुरक्षा उपकरणों की कमी के साथ बड़ी संख्या में रोजाना संक्रमित लोगों की जान बचाने की कोशिश कर रहे है और ऐसा करते हुए कई खुद भी इस वायरस की चपेट में आ रहे हैं।

कोविड-19 से निपटने की इस लड़ाई में अग्रिम यौद्धा होने का वह एहसास क्या होता है यह जानने के लिए ‘एएफपी’ के पत्रकारों ने दुनियाभर में स्वास्थ्य कर्मियों से बात की। दुनिया में सबसे अधिक प्रभावित देशों में से एक इटली में कोविड-19 से संक्रमित होने के बाद कई डॉक्टरों और नर्सों की जान जा चुकी है और हजारों स्वास्थ्य कर्मी वायरस से संक्रमित हैं। रोम में टॉर वर्गाटा अस्पताल के कोविड-19 गहन देखभाल इकाई : आईसीयू : की नर्सिंग समन्वयक सिल्वाना डे फ्लोरियो ने संक्रमण से बचने के लिए मास्क, वाइज़र, दस्ताने, स्क्रब और सूट वाली एक उचित किट के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा हम इसके लिए कोई निश्चित समय निर्धारित नहीं करते लेकिन सात घंटे की शिफ्ट में करीब 40 से 50 मिनट तैयार होने (सूट पहनने) में लगते हैं। देखभाल कर्मी को मास्क ना पहनने के लिए डांटने के बाद उन्होंने कहा हाथ धोने और उन्हें संक्रमण मुक्त करने में हमें रोजाना 60 से 75 मिनट लगते हैं। चिकित्सा कर्मी ऐसे संकट के समय बीमार पड़ने का जोखिम नहीं ले सकते।

इक्वाडोर के गुआयाकिल के प्रशांत बंदरगाह शहर में एक बीमार नर्स अपना गुस्सा छुपा नहीं पाईं। उनके 80 सहकर्मी बीमार हैं और पांच की मौत हो चुकी है। इक्वाडोर दक्षिण अमेरिका के सबसे अधिक प्रभावित देशों में से एक हैं, जहां सैकड़ों शव घरों के अंदर ही पड़ें हैं क्योंकि शवगृहों में अब जगह ही नहीं बची है। नर्स (55) ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर कहा हम बिना हथियार के ही युद्ध के मैदान में हैं। उन्होंने कहा यह महामारी जब यूरोप को बर्बाद कर रही थी तब जरूरी उपकरणों का इंतजाम नहीं किया गया। वह खुद भी अभी घर पर ही आराम कर रही हैं क्योंकि अस्पतालों में जगह नहीं है। गंभीर लक्ष्णों के मरीज उनके आपात विभाग में आ रहे थे और जांच व्यवस्था की कमी के कारण उन्हें एक फ्लू के मरीज के तौर पर देखा गया और घर भेज दिया गया। उन्होंने कहा हमारे पास व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) नहीं थे लेकिन हम उन मरीजों का इलाज करने से मना नहीं कर सकते थे।

अमेरिका में न्यूयॉर्क स्टेट नर्सेज एसोसिएशन की अध्यक्ष जुडी शेरिडन-गोंजालेज ने भी चिकित्सा कर्मियों के लिए सुरक्षा उपकराणों की कमी की शिकायत की। अस्पताल के बाहर हाल में हुए प्रदर्शन के दौरान उन्होंने कहा दुश्मन से बचने के लिए हमारे पास हथियार नहीं है। न्यूयॉर्क के 43 वर्षीय नर्स बेनी मैथ्यू ने बताया कि वह उचित सुरक्षा उपकरण के बिना चार मरीजों का इलाज करने के बाद संक्रमित हुए। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद उनके अस्पताल विभाग ने उनसे कहा कि बुखार कम होते ही काम पर आ जाएं।

 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!